Pitru Paksha 2022: Pitru Paksha Navami Tithi Vidhi

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष नवमी तिथिः पितरों को करना है खुश तो आज करें ये काम, श्राद्ध के लिए विवाहित महिलाएं मानी जाती है श्रेष्ठ

पितृ पक्ष नवमी तिथिः पितरों को करना है खुश तो आज करें ये काम! Pitru Paksha 2022: Pitru Paksha Navami Tithi Vidhi

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : September 19, 2022/10:26 am IST

रायपुरः Pitru Paksha 2022 श्राद्धपक्ष का एक दिन महिलाओं को समर्पित होता है। इस दिन को मातृ नवमी के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि परिवार में जिन महिलाओं की मृत्यु हुई है उनकी आत्मा की संतुष्टि के लिए यह तिथि उत्तम है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर पितृगणों की प्रसन्नता हेतु ‘नवमी का श्राद्ध’ किया जाता है। यह तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। नवमी तिथि का श्राद्ध मूल रूप से माता, बहन या पत्नी के निमित्त किया जाता है।

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Pitru Paksha 2022 इस श्राद्ध के दिन का एक और नियम भी है। इस दिन पुत्रवधुएं भी व्रत रखती हैं, यदि उनकी सास अथवा माता जीवित नहीं हो तो। इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। शास्त्रानुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है।

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मातृ नवमी के श्राद्ध की विधि इस प्रकार है

नवमी श्राद्ध में पांच ब्राह्मणों और एक ब्राह्मणी को भोजन करवाने का विधान है। सर्वप्रथम नित्यकर्म से निवृत होकर घर की दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं। पितृगण के चित्र अथवा प्रतीक हरे वस्त्र पर स्थापित करें। पितृगण के निमित, तिल के तेल का दीपक जलाएं, सुगंधित धूप करें, जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण करें। अपने पितरों के समक्ष गोरोचन और तुलसी पत्र समर्पित करना चाहित्य। श्राद्धकर्ता को कुशा के आसन पर बैठकर भागवत गीता के नवें अध्याय का पाठ करना चाहित। इसके उपरांत ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद सभी को यथाशक्ति वस्त्र, धन-दक्षिणा देकर उनको विदा करने से पूर्व आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।

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नवमी श्राद्ध का महत्व

– आश्विन कृष्ण सप्तमी को ये श्राद्ध किया जाता है
– ये करने से कुल के लोगों के जीवन से दुख दूर होते हैं
– श्राद्धकर्ता को पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है
– षष्ठी श्राद्ध से सभी कार्य सिद्ध होते हैं
– षष्ठी श्राद्ध कर्म में 6 ब्राह्मणों को भोजन कराना अनिवार्य

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नवमी श्राद्ध विधि

– गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ मिश्रित जल की जलांजलि देकर पितृ पूजन करें
– पितरों के निमित्त गौघृत का दीप और चंदन धूप जलाएं
– सफेद फूल, चंदन, सफेद तिल, तुलसी पत्र समर्पित करें
– चावल के आटे के पिण्ड समर्पित करें
– पितरों के लिए नैवेद्य रखें
– कुशा के आसन में बैठाकर पूजा करें
– पितरों के निमित्त जगन्नाथ जी का ध्यान करें
– गीता के छठे अध्याय का पाठ करें
– चावल की खीर, पूड़ी, सब्जी, कलाकंद, सफेद फल, लौंग, इलायची, मिश्री अर्पित करें
– ब्राह्मणों को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें

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पितृ होंगे प्रसन्न

– धार्मिक कार्य बगैर मंत्र, स्तोत्र के पूरे नहीं होते
– श्राद्ध में भी मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व होता है
– पितृ कृपा के लिए ‘पुरुष सूक्त’ और ‘पितृ सूक्त’ प्रमुख हैं
– ‘पुरुष सूक्त’ और ‘पितृ सूक्त’ पाठ न कर सकें तो चार मंत्रों के जाप से पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं
– ‘ॐ कुलदेवतायै नम:’ 21 बार जपें
– ‘ॐ कुलदैव्यै नम:’ 21 बार जपें
– ‘ॐ नागदेवतायै नम:’ 21 बार जपें
– ‘ॐ पितृ दैवतायै नम:’ 108 बार जपें

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श्राद्ध विधि

– खुद पर गंगा जल छिड़कें
– कुशा को अनामिका उंगली में बाधें और जनेऊ धारण करें
– तांबे के पात्र में फूल, कच्चा दूध, जल लें
– आसन को पूर्व-पश्चिम में रखें
– हाथों में चावल, सुपारी लेकर भगवान का मनन करें
– दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों का आह्वान करें
– हाथ में काले तिल लेकर गोत्र का उच्चारण करें
– जिसका श्राद्ध कर रहे हैं उनके गोत्र और नाम का उच्चारण करें
– तीन बार तर्पण विधि पूरी करें
– नाम पता न हो तो भगवान का नाम लेकर तर्पण दें
– तर्पण के बाद कंडा जलाएं और गुड़, घी डालें
– भोजन का एक भाग धूप में दें
– भोजन का एक भाग देवताओं को दें
– गाय, कुत्ते, कौए को भोजन दें

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पितृ पक्ष में ध्यान रखें

– घर के दरवाजे पर आने वाले किसी भी जीव का निरादर न करें
– मांस-मदिरा का सेवन वर्जित
– चना, मसूर, सरसों का साग, सत्तू, जीरा, मूली का सेवन न करें
– काला नमक, लौकी, खीरा, बासी भोजन न करें
– किसी और के घर की जमीन पर तर्पण न करें
– तर्पण में लाल और सफेद तिल का इस्तेमाल न करें
– कुत्ते, बिल्ली, गाय को हानि न पहुंचाएं
– नए वस्त्र न खरीदें और न पहनें

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