रायपुर : देश के विभिन्न इलाकों में यूं तो गंगा महारानी के कई मंदिर हैं, लेकिन जितना भव्य मंदिर गंगा महारानी का भरतपुर में है ऐसा मंदिर वहां भी नहीं है जहां कि गंगा बह रही है। आज गंगा दशहरा पर्व है और इस पर्व पर यहां मेले जैसा नजारा रहता है, लेकिन कोरोना काल के चलते सन्नाटा पसरा हुआ है। तो चलिए आपको गंगा दशहरा के पर्व पर अवगत करवाते हैं भरतपुर गंगा मंदिर के इतिहास से।
भरतपुर शहर के बीचोबीच गंगा महारानी का भव्य मंदिर बना हुआ है। स्थानीय लोगों की मानें तो इसके निर्माण में लगभग 90 साल का समय लगा था। गंगा मंदिर लोहागढ़ दुर्ग के मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित है और मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। खास बात यह है मंदिर के अंदर मगरमच्छ पर सवार मां गंगा महारानी की भव्य प्रतिमा है, ऐसा माना जाता है कि देश में कहीं भी किसी भी मंदिर में गंगा महारानी की इतनी भव्य प्रतिमा नहीं है। यहां गंगा महारानी की प्रतिमा संगमरमर की बनी है और उनके बगल में 4 फीट ऊंची राजा भागीरथ की प्रतिमा भी विराजमान है जो कि मां गंगा को प्रणाम कर रहे हैं।
जानकारों की मानें तो गंगा मंदिर के निर्माण की शुरुआत सन 1845 में भरतपुर के जाट शासक महाराजा बलवंत सिंह ने कराई थी और 5 राजाओं के शासन काल तक गंगा मंदिर का निर्माण चलता रहा था। भरतपुर के महाराजा बलवंत सिंह को लंबे समय तक जब कोई संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने अपने पुरोहित की सलाह पर गंगा महारानी का मंदिर बनवाने का प्रण लिया था। लेकिन मंदिर पूरी तरह महाराजा सवाई बृजेंद्र सिंह के शासन काल में बनकर तैयार हुआ।
ये भी बताया जाता है कि गंगा महारानी की मूर्ति का निर्माण एक मुस्लिम मूर्तिकार ने किया था। गंगा मंदिर का भवन दो मंजिला है और दीवारों पर शानदार नक्काशी की गई है। बादामी रंग के इस मंदिर के निर्माण के लिए भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर का पत्थर उपयोग में लिया गया है। वास्तुकला के लिहाज से गंगा मंदिर में मुगल राजपूत और दक्षिण भारतीय शैली का मिश्रण भी दिखाई देता है। गंगा मंदिर लगभग डेढ़ एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और मंदिर की खास बात यह है कि राज महल के झरोखे से सीधे गंगा महारानी मंदिर के दर्शन भी होते थे।
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भरतपुर के गंगा महारानी के मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में गंगाजल वितरित किया जाता है गंगा दशहरा पर्व के मौके पर भरतपुर के गंगा मंदिर में मेले जैसा माहौल दिखाई देता है लेकिन कोरोना महामारी के चलते गंगा दशहरा पर्व पर इस बार भी रौनक फीकी ही नजर आई है।
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