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कोलकाता, 21 जून (भाषा) पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने भारतीय क्रिकेट टीम के अगले मुख्य कोच बनने के सवालों से बचते हुए शुक्रवार को कहा कि वह इतना आगे नहीं देखते।
लेकिन उन्होंने अपनी कोचिंग के तरीके पर बातचीत की जो ‘टीम को पहले रखने की विचारधारा’ पर आधारित है। वह यहां ‘इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स’ के कार्यक्रम में पहुंचे थे।
गंभीर ने इस हफ्ते के शुरू में भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की क्रिकेट सलाहकार समिति को वर्चुअल साक्षात्कार दिया था और उन्हें भारत के अगले मुख्य कोच के तौर पर प्रबल दावेदार माना जा रहा है। मौजूदा मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का कार्यकाल टी20 विश्व कप के बाद खत्म हो जायेगा।
गंभीर (42 वर्ष) ने कोलकाता नाइट राइडर्स को हाल में टीम मेंटोर के तौर पर इंडियन प्रीमियर लीग का तीसरा खिताब दिलाने में मदद की। जब उनसे मुख्य कोच बनने की संभावना के बारे में पूछा गया तो वह चुप्पी साधे रहे।
उन्होंने बस इतना कहा, ‘‘मैं इतना आगे नहीं देखता हूं। आप मुझसे सभी मुश्किल सवाल पूछ रहे हैं। ’’
गंभीर ने यहां ‘राइज टू लीडरशिप’ सेमीनार में कहा, ‘‘अभी जवाब देना मुश्किल है। मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि मैं अभी खुश हूं, अभी एक शानदार यात्रा खत्म हुई है और इसका लुत्फ उठा रहा हूं। मैं अभी बहुत खुश हूं। ’’
उन्होंने कहा कि उनकी कोचिंग देने का आधार टीम को व्यक्तिगत खिलाड़ी से ऊपर रखना है।
गंभीर ने कहा, ‘‘अगर आपका इरादा किसी व्यक्ति से पहले टीम को आगे रखने का है तो चीजें अपने आप ठीक हो जायेंगी। आज नहीं तो कल, कल नहीं तो किसी और दिन, यह ठीक हो जायेगा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अगर आप किसी एक या दो खिलाड़ियों को प्रदर्शन करने में मदद करते हो तो आपकी टीम का ही नुकसान होगा। ’’
गंभीर ने कहा, ‘‘मेरा काम व्यक्तिगत खिलाड़ियों को अच्छा प्रदर्शन कराना नहीं है। बल्कि मेंटोर के तौर पर मेरा काम केकेआर को जीत दिलाना था। मेरे लिए गुरु मंत्र पहले टीम को रखना है। मुझे लगता है कि पहले टीम को रखने की विचारधारा किसी भी टीम खेल में सबसे महत्वपूर्ण है। ’’
गंभीर ने कुछ मौकों पर भारत की कप्तानी भी की। इस पूर्व क्रिकेटर ने कहा कि उनके लिए टीम में सभी सदस्यों के साथ समान व्यवहार करना अहम है।
उन्होंने कहा, ‘‘टीम खेलों में, टीम सबसे अधिक मायने रखती है। खिलाड़ी भूमिका निभाते हैं, व्यक्तिगत खिलाड़ी योगदान देते हैं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मुझे लगता है कि अगर 11 लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाये और अगर 11 लोगों को समान सम्मान मिले, समान जिम्मेदारी दी जाये तो आप अभूतपूर्व सफलता प्राप्त करेंगे। आप भेदभाव नहीं कर सकते। ’’
भाषा नमिता आनन्द
आनन्द
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