स्टिमक ने अपने भविष्य पर कहा, अभी आपको बताने के लिए कुछ नहीं है |

स्टिमक ने अपने भविष्य पर कहा, अभी आपको बताने के लिए कुछ नहीं है

स्टिमक ने अपने भविष्य पर कहा, अभी आपको बताने के लिए कुछ नहीं है

:   Modified Date:  June 12, 2024 / 01:18 PM IST, Published Date : June 12, 2024/1:18 pm IST

दोहा, 12 जून (भाषा) दबाव में चल रहे भारतीय फुटबॉल कोच इगोर स्टिमक ने टीम के साथ अपने भविष्य को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है। टीम यहां एशियाई चैंपियन कतर से 1-2 से विवादास्पद हार के बाद 2026 विश्व कप क्वालीफायर से बाहर हो गई।

कतर ने खेल के मैदान से बाहर जा चुकी गेंद का गोल में पहुंचाया और फिर एक और गोल करके भारत को विश्व कप क्वालीफिकेशन के तीसरे दौर में जगह बनाने की दौड़ से बाहर कर दिया।

कुछ सप्ताह पहले स्टिमक ने वादा किया था कि अगर वह भारत को तीसरे दौर में ले जाने के अपने ‘मिशन’ में विफल रहे तो वह टीम का साथ छोड़ देंगे। मंगलवार को निराश स्टिमक इतने आश्वस्त नहीं थे और उन्होंने कहा कि उन्हें चीजों को समझने के लिए कुछ और दिन चाहिए।

वर्ष 2019 में पद संभालने वाले इस 56 वर्षीय कोच ने कहा, ‘‘यह कुछ ऐसा है जिस पर हमें अगले कुछ हफ्तों में आंतरिक रूप से चर्चा करने की आवश्यकता है कि हमारा भविष्य कहां है। अभी मैं आपको कुछ नहीं बता सकता।’’

स्टिमक ने कहा, ‘‘मैं आपको यह बता सकता हूं कि आज रात यह स्पष्ट हो गया कि भारत का फुटबॉल में अच्छा भविष्य है। बहुत से लोग कहेंगे कि कतर रिजर्व टीम के साथ खेला लेकिन हमारी टीम और आज की कतर की टीम की उम्र में अधिक अंतर नहीं है।’’

पिछले साल अक्टूबर में स्टिमक और उनके सहयोगी स्टाफ के अनुबंध में विस्तार किया गया था जो उन्हें जून 2026 तक सीनियर और अंडर-23 पुरुष फुटबॉल टीमों की जिम्मेदारी देता है।

अगर टीम विश्व कप क्वालीफायर के तीसरे दौर में पहुंच जाती तो स्टिमक का अनुबंध अपने आप 2028 तक बढ़ जाता।

यहां दिल टूटने के बावजूद जिस चीज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, वह है भारत का निराशाजनक अभियान, जिसमें उसे घरेलू मैदान पर निचली रैंकिंग वाली टीम अफगानिस्तान के खिलाफ हार भी झेलनी पड़ी।

स्टिमक से इस बारे में पूछा गया और उन्होंने कहा कि अगर यूरोपीय लीग में प्रतिस्पर्धा करने वाले भारतीय मूल के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में शामिल किया जाता है तो टीम आसानी से विश्व कप में जगह बना सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें उनका इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती तो भारत विश्व कप के लिए क्वालीफाई कर लेता। हमारे पास डेढ़ अरब लोग हैं लेकिन हमारे पास केवल 13 क्लबों वाली एक लीग है जिसमें रेलीगेशन (निचली लीग में खिसकना) भी नहीं है इसलिए प्रतिस्पर्धा की कमी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सत्र के आधे हिस्से में आपके पास पांच या छह क्लब होते हैं जिनके पास संघर्ष करने के लिए कुछ नहीं है।’’

स्टिमक ने समझाया, ‘‘खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा के एक निश्चित स्तर पर आने के लिए, उन्हें पूरे सत्र में दबाव में खेलने की जरूरत होती है और बिना किसी ढील के प्रत्येक मैच की तीव्रता को महसूस करने की जरूरत होती है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर वही चीज दे सकें।’’

भाषा सुधीर पंत

पंत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)