बनारस के घाट पर लगी शवों की लंबी लाइन, अंतिम संस्कार में आ रही ये दिक्कत

dead bodies on the Ghat of Banaras : बनारस के घाट पर लगी शवों की लंबी लाइन, अंतिम संस्कार में आ रही ये दिक्कत..

बनारस के घाट पर लगी शवों की लंबी लाइन, अंतिम संस्कार में आ रही ये दिक्कत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: June 14, 2022 2:52 pm IST

Varanasi Kashi Ghat : नई दिल्ली। देश के कई राज्य में भीषण गर्मी की मार झेल रहे है। उत्तरभारत में थोड़ी राहत के बाद मौसम ने फिर जलाना शुरू कर दिया है। इस बीच उत्तरप्रदेश के वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अब ज्यादा शवों के आने से एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है। खराब व्यवस्था के बीच शवयात्रियों को शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए तपती धूप में घाट की सीढ़ियों पर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी शवयात्रियों को हो रही है, क्योंकि घाट पर न तो छांव की व्यवस्था है और ना ही पीने के पानी की। इस चिलचिलाती धूप में उन्हें अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ रहा है।

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अंतिम संस्कार के लिए 4-4 घंटों का इंतजार

माना जाता है कि काशी में मिली मौत सीधे मोक्ष के द्वार खोल देती है। इसी कारण से यहां पर बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। बता दें यहां पूरे दिन यानी 24 घंटे शवदाह किया जाता है। कोरोना के बढ़ते मामले और भीषण गर्मी के बीच यहां शवों को लाए जाने का सिलसिला इतना बढ़ गया है कि गंगा घाट की सीढ़ियों पर शवों के साथ लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करता देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें 4-4 घंटों का इंतजार करना पड़ रहा।

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ना छांव, ना पीने के पानी

घाट पर शवदाह करने आए एक शवयात्री ने बताया कि ‘वह अपनी बड़ी मां का शव लेकर मणिकर्णिका घाट आए हैं। उन्हें तीन घंटे हो गए हैं लेकिन अब तक उनका नंबर नहीं आया है। यहां पर भयंकर गर्मी पड़ रही है, बैठने के लिए ना तो छांव की व्यवस्था है और ना ही पीने के पानी की। जिसकी वजह से शवयात्रियों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’

चिता को बुझाने में भी दिक्कत

जबकि शवदाह करने वाले डोम परिवार के सदस्य का कहना है कि आम दिनों के मुकाबले 10-20 शव ज्यादा लाए जा रहे हैं। वैसे 30-35 शव लाए जाते थे, लेकिन गर्मी में 40-50 शव लाए जा रहे हैं। भीषण गर्मी की वजह से गंगा में पानी कम हो गया जिससे पानी और घाट के बीच दूरी बढ़ गई है। जिसकी वजह से चिता को बुझाने में भी ज्यादा समय लग रहा है। इसके साथ ही बताया गया कि नगर निगम की तरफ से ना तो बैठने की ही सुविधा है और ना ही पीने का पानी उपलब्ध है। वहां उपस्थित एक शवयात्री ने बताया कि एक बॉडी को जलने में ढाई से तीन घंटे का समय लग जाता है। 12 चूल्हे नीचे हैं और 10 ऊपर।

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