भीषण गर्मी से निपटने के लिये ‘व्यापक दृष्टिकोण’ अपनाने की जरूरत: उत्तर प्रदेश के अधिकारी |

भीषण गर्मी से निपटने के लिये ‘व्यापक दृष्टिकोण’ अपनाने की जरूरत: उत्तर प्रदेश के अधिकारी

भीषण गर्मी से निपटने के लिये ‘व्यापक दृष्टिकोण’ अपनाने की जरूरत: उत्तर प्रदेश के अधिकारी

:   Modified Date:  June 19, 2024 / 10:03 PM IST, Published Date : June 19, 2024/10:03 pm IST

लखनऊ, 19 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे राज्य में इन दिनों जारी भीषण गर्मी से निपटने के लिए ‘व्यापक दृष्टिकोण’ की जरूरत पर बल देते हुए बुधवार को कहा कि शहरों के पास तालाबों और आर्द्रभूमि को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ नगरों के फैलाव के बजाय बहुमंजिला इमारतें बनायी जानी चाहिये।

उत्तर प्रदेश सरकार और ‘नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल’ द्वारा ‘उत्तर प्रदेश शहरी शीतलन नीति पर कार्यशाला’ में एक ऐसी नीति बनाने पर विचार-मंथन किया गया जिससे शहरों को बढ़ती गर्मी से निपटने में मदद मिल सके।

उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने कहा, ‘‘हमें शहरों के पास तालाबों और आर्द्रभूमि को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इसके अलावा शहरों को फैलाव देने के बजाय कम स्थान में बहुमंजिला इमारतों के जरिये ऊर्ध्वाधर विकास को अपनाने की जरूरत है। इससे न सिर्फ प्रकृति पर बोझ कम होगा, बल्कि वन भूमि को भी नुकसान नहीं होगा।’’

उत्तर प्रदेश के आवास और शहरी नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि शहरी परिवेश में गर्म मौसम की समस्या को हल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ पेड़ लगाने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि अक्षय ऊर्जा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना होगा। किसी एक समाधान से समस्या का हल नहीं निकलेगा बल्कि हर समाधान को अपनाना पड़ेगा, तभी भीषण गर्मी से राहत मिलेगी।’’

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश पिछले करीब एक महीने से भीषण उष्ण लहर (हीट वेव) का सामना कर रहा है। इस दौरान, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है।

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव नरेंद्र भूषण ने कहा, ‘‘इस समय गर्मी असहनीय है। ये परिस्थितियां विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। हमने देखा है कि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति और खराब हुई है तथा इसके दीर्घकालिक नुकसान को कम करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।’’

सिंह ने दुधवा बाध अभयारण की अपनी हालिया यात्रा का अनुभव भी साझा किया, जहां उन्होंने एक जलाशय में बाघों का एक समूह देखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘जानवर भी अत्यधिक गर्मी के कारण परेशान हैं और पानी के जलाशयों के पास रहने को मजबूर हैं।’’

कार्यशाला में उद्घाटन भाषण एनआरडीसी प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद की प्रमुख दीपा सिंह बगई और ‘द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट’ के वरिष्ठ निदेशक संजय सेठ ने किया। कार्यशाला में राज्य सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों के साथ-साथ राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने भी भाग लिया।

भाषा चंदन सलीम खारी

खारी

 

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