Up assembly elections clash with 'rishta', amethi's royal family also pulls out

यूपी विधानसभा चुनाव में फ‍िर टकरा रहे ‘रिश्ते’, अमेठी के राज परिवार में भी खींचतान

उप्र के विधानसभा चुनाव में फ‍िर टकरा रहे ‘रिश्ते’, अमेठी के राज परिवार में भी खींचतान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : January 23, 2022/5:54 am IST

Up assembly elections clash with rishta : लखनऊ, 23 जनवरी (भाषा) लखनऊ में सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से पति-पत्नी की भाजपा के टिकट की दावेदारी के बीच अब अमेठी से राजघराने की दो बहुओं की दावेदारी सत्तारूढ़ दल की परेशानी बढ़ा सकती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में अमेठी में गरिमा सिंह (भाजपा) और अमीता सिंह (कांग्रेस) आमने-सामने थीं तथा इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी दूसरी पत्नी अमीता सिंह भी यहां से पार्टी के टिकट की दावेदार हैं।

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पूर्व की अमेठी रियासत के मुखिया संजय सिंह ने जुलाई 2019 में कांग्रेस और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया था। उनके नजदीकी लोगों के मुताबिक, संजय सिंह अमेठी विधानसभा से अमीता को भाजपा का टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं, जबकि गरिमा अपना टिकट बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। इस सिलसिले में दोनों (गरिमा-अमीता) से बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। हालांकि भाजपा के लोकसभा संयोजक और अमेठी के जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश मसाला ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”यहां टिकट मिलना कोई मुद्दा नहीं है। पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी उसे चुनाव जिताकर भेजा जाएगा।”

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अमेठी में ‘महाराज’ नाम से संबोधित किए जाने वाले डॉक्टर संजय सिंह ने अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को तलाक देकर 1995 में अमीता सिंह से शादी कर ली थी। राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बैडमिंटन की खिलाड़ी रहीं अमीता ने 1984 में राष्‍ट्रीय चैंपियन सैयद मोदी से शादी की थी। 1988 में सैयद मोदी की हत्‍या के बाद अमीता ने संजय सिंह से दूसरा विवाह किया और उसके बाद राजनीति में सक्रिय हुईं। 2002 में वह भाजपा तथा 2007 में कांग्रेस से अमेठी की विधायक चुनी गईं।

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वर्ष 2017 के चुनाव में अमेठी में गरिमा सिंह (भाजपा) और अमीता कांग्रेस की उम्मीदवार थीं। गरिमा सिंह ने 64,226 मत पाकर यह चुनाव जीत लिया था जबकि अमीता चौथे स्थान पर रही थीं और उन्हें सिर्फ 20,291 मत मिले थे। यहां दूसरे नंबर पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता गायत्री प्रसाद और तीसरे नंबर पर बसपा के रामजी रहे थे। अमेठी में इस बार पांचवें चरण में मतदान होगा।

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वहीं, परिवार में चुनावी टिकट को लेकर दावेदारी के चलते गाजीपुर जिले के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार में भी अनबन की खबरें हैं। मोहम्मदाबाद क्षेत्र के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी समेत कई अपराधियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हुआ। उसके बाद हुए उपचुनाव में कृष्णानंद की पत्नी अलका राय विधायक चुनी गईं। 2017 में भी भाजपा के टिकट पर अलका राय ने मुख्तार के भाई सिबगतुल्ला अंसारी को पराजित किया था।

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सूत्रों के अनुसार, इस सीट पर अलका राय अपने पुत्र पीयूष राय को टिकट दिलाना चाहती हैं जबकि कृष्‍णानंद राय के भतीजे आनन्‍द राय ‘मुन्ना’ ने भी पूरे इलाके में बैनर-पोस्टर लगाकर अपनी दावेदारी पेश की है।

टिकट को लेकर चल रहे घमासान के बारे में जब आनन्‍द राय से बातचीत की गई तो उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा ” यह बात सभी लोग जानते हैं कि चाचा जी (कृष्‍णानंद राय) की हत्‍या के बाद मैं हर मोर्चे पर सक्रिय रहा और मैंने परिवार एवं क्षेत्र की जनता के लिए अपनी जवानी दे दी, मुकदमा लड़ने से लेकर सभी दुश्मनी हमने झेली और चुनावों में चाची जी ( विधायक अलका राय) सिर्फ चेहरा रहीं। उनका पूरा चुनाव मैंने लड़ा लेकिन अब वह अपने बेटे के लिए टिकट चाह रही हैं तो मैं अपनी दावेदारी कैसे छोड़ दूं। मेरा नाम तो 2017 में भी पार्टी ने प्रस्तावित किया था।” हालांकि अलका राय के एक समर्थक ने कहा कि लोग पीयूष राय में कृष्णानंद की छवि देखते हैं।

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इस सीट पर सबसे आखिर में सातवें चरण में मतदान होना है और अभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है।

भाजपा की उप्र इकाई के सह संपर्क प्रमुख नवीन श्रीवास्तव ने इस संदर्भ में कहा, ”टिकट मांगने का सबको हक है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता अनुशासित होते हैं और पार्टी जिसके नाम पर फैसला करेगी, उसके साथ सब लोग एकजुट होकर चुनाव प्रचार करेंगे।” औरैया जिले के बिधूना विधानसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में मतदान होगा जहां से पिता-पुत्री के बीच मुकाबले के आसार साफ दिख रहे हैं। हाल ही में बिधूना के भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनय शाक्य ने पार्टी नेतृत्व पर पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा से इस्तीफा देकर सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। उनके इस कदम का उनकी पुत्री रिया शाक्‍य ने विरोध किया।

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