भीड़ के हाथों श्रीलंकाई नागरिक की हत्या को उचित ठहराने वाले पाकिस्तानी युवक को एक साल की कैद |

भीड़ के हाथों श्रीलंकाई नागरिक की हत्या को उचित ठहराने वाले पाकिस्तानी युवक को एक साल की कैद

भीड़ के हाथों श्रीलंकाई नागरिक की हत्या को उचित ठहराने वाले पाकिस्तानी युवक को एक साल की कैद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : January 22, 2022/7:39 pm IST

(एम जुल्करनैन )

लाहौर, 22 जनवरी (भाषा) पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने भीड़ द्वारा एक श्रीलंकाई नागरिक की पीट-पीटकर की गई हत्या को एक वीडियो में उचित ठहराने वाले 27 वर्षीय युवक को एक साल कैद की सजा सुनाई है।

पाकिस्तानी युवक ने यह वीडियो अपने यूट्यूब चैनल के जरिये वायरल कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल तीन दिसंबर को 800 से अधिक लोगों की भीड़, जिसमें कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थक भी शामिल थे, ने लाहौर से 100 किलोमीटर दूर सियालकोट स्थित कपड़े की एक फैक्टरी पर हमला कर दिया था। भीड़ ने इस दौरान फैक्टरी के महाप्रबंधक, 47 वर्षीय प्रियंता कुमारा को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला और उनके शव को जला दिया था।

पुलिस के मुताबिक, सियालकोट के मोहम्मद अदनान ने कुमारा की हत्या को उचित ठहराने वाला वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था। इसमें, उसने कुमारा को पीट पीटकर मार डालने और फिर उसके शव को जला दिये जाने को जायज ठहराया है।

सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मुबारक अली ने कहा, ‘‘अदनान ने ईशनिंदा करने वालों की हत्या करने की हिमायत की थी। यूट्यूब चैनल पर वह कुमारा की हत्या के समर्थन में तर्क दे रहा है। वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने पर, पुलिस ने उसके (अदनान के) खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद गुजरांवाला स्थित आतंक रोधी अदालत (एटीसी) में आरोपपत्र दाखिल किया।’’

अली ने बताया कि एटीसी गुजरांवाला की न्यायाधीश नताशा नईम ने शुक्रवार को अदनान को एक साल कैद की सजा सुनाई और उस पर 10 हजार (पाकिस्तानी) रुपये का जुर्माना भी लगाया।

कुमारा की हत्या के मामले में जिन 85 मुख्य संदिग्धों की भूमिका का पता चला है, उन्हें रिमांड पर लिया गया है। उन्हें 31 जनवरी को एटीसी के समक्ष पेश किया जाएगा। कुमारा की हत्या के बाद करीब 200 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि घटना में संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिलने पर उनमें से 115 को बाद में रिहा कर दिया गया था।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)