मॉस्को, 20 अक्टूबर (एपी) रूस ने बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता की मेजबानी की, जिसमें तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधि और अन्य पक्ष शामिल हुए। वार्ता संबंधित मुद्दे पर रूस के कूटनीतिक प्रभाव को दर्शाती है।
वार्ता की शुरुआत करते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए ऐसी वास्तविक समावेशी सरकार के गठन की आवश्यकता है, जिसमें देश के सभी जातीय समूहों और राजनीतिक दलों के हित की झलक दिखे।
रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद वह इस समूह से संपर्क स्थापित करने के लिए वर्षों तक काम करता रहा। इस तरह के किसी भी समूह से संपर्क करना रूस के कानून के तहत दंडनीय है, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय ने मुद्दे पर विरोधाभास से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में मदद के लिए तालिबान से बात करना आवश्यक है।
पूर्ववर्ती सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में 10 साल तक युद्ध लड़ा था, जिसका अंत 1989 में वहां से रूसी सैनिकों की वापसी के साथ हुआ। मॉस्को ने हाल के वर्षों में तालिबान के प्रतिनिधियों और अन्य पक्षों के साथ वार्ता की मेजबानी कर अफगानिस्तान के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता में एक सशक्त मध्यस्थ के रूप में वापसी की है।
गत अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अन्य देशों से इतर रूस ने वहां काबुल स्थित अपने दूतावास को खाली नहीं किया और तभी से इसके राजदूत तालिबान के प्रतिनिधियों से लगातार मुलाकात करते रहे हैं।
लावरोव ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में अफगानिस्तान में स्थिति को स्थिर बनाने और सरकारी संस्थानों का संचालन सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए तालिबान की सराहना की।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान के नए शासक के रूप में तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने हालांकि संगठन के साथ वार्ता करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
एपी
नेत्रपाल सुरेश
सुरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उत्तरी इंग्लैंड के स्कूल में हुए हमले के मामले में…
10 hours ago