चीन और भारत के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पीछे हटना शुरू किया : चीनी रक्षा मंत्रालय | Troops from China and India begin retreat in eastern Ladakh: Chinese Defense Ministry

चीन और भारत के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पीछे हटना शुरू किया : चीनी रक्षा मंत्रालय

चीन और भारत के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में पीछे हटना शुरू किया : चीनी रक्षा मंत्रालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : February 10, 2021/5:03 pm IST

(केजेएम वर्मा)

बीजिंग/नयी दिल्ली, 10 फरवरी (भाषा) चीन के रक्षा मंत्रालय ने यहां कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।

भारत के रक्षा मंत्रालय या भारतीय सेना की ओर से चीन के बयान पर कोई आधिकरिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि दोनों पक्ष टैंक और बख्तरबंद वाहनों जैसी इकाइयों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में हैं।

घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि टकराव वाले स्थलों से बख्तरबंद इकाइयों की वापसी जैसे विशिष्ट कदमों पर 24 जनवरी को 16 घंटे तक चली नौवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में गहन चर्चा हुई थी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने इस बीच, ट्वीट किया कि मंत्री पूर्वी लद्दाख में स्थिति के बारे में बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बयान देंगे।

इसमें कहा गया, ‘‘रक्षा मंत्री पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति के बारे में कल राज्यसभा में बयान देंगे।’’

भारतीय रक्षा एवं सैन्य प्रतिष्ठान में प्राधिकार सूत्रों ने चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान को खारिज नहीं किया।

पूर्वी लद्दाख में स्थिति से अवगत लोगों ने कहा कि दोनों पक्ष पिछले दौर की सैन्य वार्ता में संपूर्ण वापसी के लिए बनी सहमति के अनुरूप अपनी बख्तरबंद इकाइयों को वापस करने की प्रक्रिया में हैं और तस्वीर जल्द स्पष्ट होगी।

इससे पहले, चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल वु कियान ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग सो (झील) के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।

उनके इस बयान से संबंधित खबर चीन के आधिकारिक मीडिया ने साझा की है।

कियान ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘दोनों देशों के सशस्त्र बलों की अग्रिम पंक्ति की इकाइयों ने 10 फरवरी से पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।’’

बयान में कहा गया, ‘‘यह कदम भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की बैठक में दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति के अनुरूप है।’’

चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक तथा दोनों पक्षों के बीच कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता में बनी सहमति के बाद दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने 10 फरवरी से पैंगोंग झील क्षेत्र से समानांतर और व्यवस्थित ढंग से पीछे हटना शुरू कर दिया।

उन्होंने एक अलग बयान में कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय पक्ष संबंधित दिशा में चीन के साथ मिलकर काम करेगा, दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति का कड़ाई से पालन करेगा और वापसी प्रक्रिया का सुगम क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा।’’

भारत के रक्षा एवं सैन्य प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि ‘‘कुछ अग्रिम गतिविधि’’ है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत जमीन पर हो रही चीजों को देखने के बाद ही आगे बढ़ेगा।

पिछले साल जून में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों की सेनाएं भारी-भरकम अस्त्र-शस्त्रों के साथ अत्यधिक ऊंचाई पर हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हो गई थीं। दोनों पक्षों ने बड़ी संख्या में टैंक और बख्तरबंद वाहनों की तैनाती कर दी थी।

गलवान घाटी में हुई झड़प में बीस भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, जबकि चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या का खुलासा अब तक नहीं किया है। अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार इस झड़प में चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे।

बातचीत में भारतीय सेना ने बार-बार चीन से पैंगोंग झील के उत्तर में फिंगर-4 और फिंगर-8 इलाके से हटने को कहा। वहीं, चीन भारतीय सेना से झील के दक्षिणी किनारे की ऊंचाइयों से हटने को कहता रहा।

गौरतलब है कि भारतीय सेना ने गतिरोध का समाधान न होते देख आश्चर्यजनक कार्रवाई में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर मुखपाड़ी, रेचिन ला और मगर हिल क्षेत्र में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कई पर्वत चोटियों पर जवानों की तैनाती कर दी थी।

पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के लगभग एक लाख सैनिक तैनात हैं।

पिछले महीने, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा था कि भारतीय सैनिक ‘‘राष्ट्रीय उद्देश्य पूरे होने तक’’ क्षेत्र में डटे रहेंगे।

उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई से सैन्य गतिरोध चला आ रहा है।

दोनों देशों की सेनाओं के बीच गत 24 जनवरी को मोल्डो-चुशूल सीमा स्थल पर चीन की तरफ कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता हुई थी।

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)