मुंबई, एक मई (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक जे स्वामीनाथन ने रविवार को कहा कि ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) का प्राथमिक उद्देश्य एक दबाव वाली कंपनी का समाधान करना है, लेकिन बकाया कर्ज की वसूली के प्रतिशत को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
स्वामीनाथन ने कहा कि वित्तीय और परिचालन लेनदारों पर दिवालिया कार्यवाही का सामना करने वाली कंपनियों का पैसा बकाया है और इसलिए दबाव वाली संपत्तियों के समाधान की दिशा में वसूली भी एक अहम पहलू होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘कर्जदाताओं के मंच के तौर पर हम सभी साफतौर पर समझते हैं कि कर्ज समाधान आईबीसी जैसे कानून का बुनियादी मकसद है। लिहाजा मुझे नहीं लगता है कि उस खास बिंदु से दूर जाने का कोई मतलब है।’’
स्वामीनाथन ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम उस बिंदु पर बने रहेंगे, इस आलोचना के बावजूद कि या तो हमें वसूली की ओर अधिक धकेला जा रहा है या हम सिर्फ एक समाधान प्रस्ताव को लेकर सजग हैं और वसूली प्रतिशत को नजरअंदाज कर रहे हैं।’’
हालांकि, उन्होंने कहा कि एक समाधान पाने की कोशिश करते हुए भी बकाया की वसूली को नजरों से ओझल नहीं कर सकते हैं।
स्वामीनाथन ने कहा कि यदि बात हेयरकट (बकाया कर्ज की नुकसान के साथ भरपाई) की ओर बढ़ने लगती है तो मुमकिन है कि कर्जदाता कोई फैसला ही न लें जिससे अनिर्णय की स्थिति पैदा होगी और दबाव वाली कंपनियां परिसमापन में चली जाएंगी।
भाषा
प्रेम अजय
अजय
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