Bilaspur High Court News: जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखने का मामला.. अब राज्य सरकार भी बनेगी याचिका में पक्षकार

Bilaspur High Court News: जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखने का मामला.. अब राज्य सरकार भी बनेगी याचिका में पक्षकार

Bilaspur High Court | Photo Credit: IBC24

Modified Date: September 6, 2023 / 10:04 pm IST
Published Date: September 6, 2023 10:04 pm IST

बिलासपुर: डाक्टरों द्वारा जेनरिक की जगह ब्रांडेड दवाइयां लिखने के मामले में दायर याचिका पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाने कहा है। याचिका में बताया गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद नियमन 2002 के नियमों में संशोधन किया है और चिकित्सकों को जेनरिक दवाओं का नाम स्पष्ट और कैपिटल लेटर में लिखने के निर्देश दिए हैं। (Bilaspur High Court News) स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में सभी अस्पताल अधीक्षक, सीएमएचओ, सिविल सर्जन व आईएमए को पत्र तो लिखा है लेकिन इसका अभी भी पालन नहीं हो रहा है।

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याचिका में बताया गया है कि प्रदेश के लगभग सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में अभी भी ज्यादातर डॉक्टर दवाओं के नाम अंग्रेजी के स्माल लेटर में लिख रहे हैं। इस कारण कई बार मेडिकल स्टोर में दवाओं के नाम पर कंफ्यूजन होता है। याचिका में कहा गया है कि इसकी मानटिरिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए डाक्टर मनमानी कर रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि शासन ने पहले ही इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया है कि यदि डाक्टर ऐसा नहीं करते हैं तो सभी विभागों की ओपीडी पर्ची की जांच की जाएगी, ताकि कैपिटल लेटर में लिखने को बढ़ावा दिया जा सके।

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अधिकतर डॉक्टर नहीं लिख रहे जेनरिक दवा उल्लेखनीय है कि चार साल पहले सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों के लिए केवल जेनरिक दवा लिखने का आदेश जारी किया गया था। छग हेल्थ रिसोर्स सेंटर इसकी मॉनिटरिंग भी करता रहा। मॉनिटरिंग में ये बात सामने आई कि डॉक्टर मरीजों की पर्ची में केवल 40 फीसदी जेनरिक दवा लिख रहे हैं। बाकी ब्रांडेड दवाओं के नाम थे। अभी भी ज्यादातर डॉक्टर जेनरिक की जगह ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं।

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