रायपुर: Rojgar Mission पिछले पखवाड़े बीजेपी और कांग्रेस के बीच रोजगार को लेकर चली जुबानी जंग के बीच भूपेश सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेला है। सरकार ने अगले पांच साल में रोजगार के 15 लाख अवसर सृजन करने की घोषणा की है। ना सिर्फ ऐलान बल्कि इसे धरातल पर उतारने रोजगार मिशन का गठन भी कर दिया, खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली बैठक में योजना का ब्लू प्रिंट सबके सामने रखा। धान और किसान के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ बीजेपी पहले ही कोई तोड़ नहीं ढूंढ़ पाई है। अब युवाओं को लुभाने सरकार ने मिशन रोजगार वाला मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है। कुल मिलाकर मिशन 2023 की तैयारियों के लिहाज से कांग्रेस बढ़त लेती दिख रही है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या है रोजगार मिशन..इसे लेकर क्या है तैयारी?
Rojgar Mission 2018 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस धान और किसान के मुद्दे पर बीजेपी पर हमेशा 20 साबित हुई है। भूपेश सरकार के तीन साल का कार्यकाल बीतने के बाद भी कांग्रेस की बढ़त बरकरार है। 15 साल सत्ता में रहने वाली बीजेपी अब तक उसका काट नहीं खोज पाई है। धान खरीदी, राजीव गांधी न्याय योजना, गोधन न्याय योजना जैसी दर्जनों योजनाओं के जरिए सरकार 80 फीसदी ग्रामीण और किसान आबादी का भरोसा जीतने में सफल रही है, जिसके बाद बीजेपी ने बेरोजगारी के मुद्दे को सियासी हथियार बनाया। ट्वीट और बयानों के जरिए बीजेपी नेताओं ने सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन भूपेश सरकार ने अब रोजगार के मुद्दे पर मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए अगले 5 सालों में 12 से 15 लाख रोजगार के नए मौके सृजित करने का ऐलान कर दिया है। इसकी पहली बैठक मुख्यमंत्री ने खुद ली और प्रमुख सचिव से लेकर IIM,IIT, IIIT, NIT जैसे संस्थानों के डायरेक्टर के साथ सलाह मशविरा के साथ रोजगार मिशन का ब्लू प्रिंट भी सामने रख दिया।
मिशन रोजगार के तहत भूपेश सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य है। प्रदेश में पहले से लगे उद्योगों और बाजार की मांग के अनुसार स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार के लायक तैयार करना। इस टास्क को पूरा करने गांव-गौठान से लेकर उच्च तकनीकी संस्थानों का भी सहयोग लेगी। नए स्टार्ट अप के लिए बेहतर इको फ्रेंडली माहौल तैयार कर युवाओं को दिया जाएगा, ताकि यहां भी रोजगार के मौके तैयार हो सके।
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किसान और युवा प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में धान, किसान और रोजगार नीति के जरिए सरकार उन्हें पूरी तरह साधने की तैयारी में हैं। पहले नरवा, गरवा, घुरवा बारी के जरिये गौठानों में रोजगार तो अब स्टार्टअप के लिए युवाओं को माहौल देकर सरकार ने बीजेपी की चिंता जरूर बढ़ा दी होगी। ये अलग बात है कि बीजेपी फिलहाल सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रही है, और पूछ रही है कि सरकार के पास बचे ही दो साल है, तो फिर बात 5 साल की क्यों की जा रही है।
विपक्ष भले ही सरकार की खामियां निकाले, लेकिन स्किल डेवलपमेंट स्कीम में बीजेपी ने कितने युवाओं को रोजगार से जोड़ा था, इसका जवाब शायद ही बीजेपी नेताओं के पास हो। बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं कि बीते तीन साल में बीजेपी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के माटी पुत्र-किसान पुत्र और खांटी छत्तीसगढ़िया वाली छवि को तोड़ पाने में नाकाम रही है। चुनावी साल से पहले 15 लाख युवाओं को रोजगार वाला मास्टरस्ट्रोक खेलकर राज्य सरकार ने युवा वोटर्स में भी सेंध लगाने की कोशिश की है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी कैसे काउंटर अटैक करती है?
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