मणिपुर से बाहर जा रहे सिविल सेवा के प्रत्येक अभ्यर्थी को 3,000 रु प्रतिदिन दे राज्य सरकार: न्यायालय |

मणिपुर से बाहर जा रहे सिविल सेवा के प्रत्येक अभ्यर्थी को 3,000 रु प्रतिदिन दे राज्य सरकार: न्यायालय

मणिपुर से बाहर जा रहे सिविल सेवा के प्रत्येक अभ्यर्थी को 3,000 रु प्रतिदिन दे राज्य सरकार: न्यायालय

:   Modified Date:  May 17, 2024 / 11:04 PM IST, Published Date : May 17, 2024/11:04 pm IST

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर सरकार को हिंसा ग्रस्त पर्वतीय जिलों के सिविल सेवा अभ्यर्थियों को 26 मई को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल होने के लिए राज्य के बाहर की यात्रा करने के वास्ते प्रतिदिन 3,000 रुपये अदा करने का निर्देश दिया है।

शाम छह बजकर 50 मिनट पर एक विशेष सुनवाई में, प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायूमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य के पर्वतीय जिलों के उन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की शिकायतों पर गौर किया, जिन्होंने सुरक्षा चिंताओं को लेकर मणिपुर के बाहर के परीक्षा केंद्रों का विकल्प चुना है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘जो लोग वर्तमान में पर्वतीय जिलों में रह रहे हैं और यूपीएससी परीक्षा के लिए आवेदन किया है, उनमें से प्रत्येक अभ्यर्थी को प्रति दिन 3,000 रुपये का भुगतान किया जाए ताकि वे परीक्षा में शामिल होने के लिए राज्य के बाहर की यात्रा कर सकें।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस लाभ को प्राप्त करने के इच्छुक अभ्यर्थी इस आदेश में उल्लेख किये गए ईमेल पते पर वहां के नोडल अधिकारी को सूचित करे, जहां वे वर्तमान में रह रहे हैं।’’

शीर्ष अदालत 140 छात्रों की ओर से मणिपुर के बाहर परीक्षा केंद्र देने की मांग से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कार्यवाही के दौरान, न्यायालय को यह बताया गया कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उनमें से प्रत्येक अभ्यर्थी को 1,500 रुपये देने के लिए कहा था, जिन्होंने मणिपुर के बाहर परीक्षा केंद्र का विकल्प चुना है।

प्रधान न्यायाधीश ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, ‘‘परिवहन की व्यवस्था करना व्यावहारिक नहीं था, ऐसे में भत्ता 1,500 रुपये से बढ़ा दिया गया है। हमारा विचार है कि उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित राशि को बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया जाए।’’

मणिपुर में, मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में 160 से अधिक लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। यह हिंसा राज्य में तीन मई को भड़की थी, जब अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था।

भाषा सुभाष नोमान

नोमान

 

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