EVM की आलोचना करने वालों पर नाराज हुई सुप्रीम कोर्ट, तंत्र को कमजोर करने का प्रयास बताया

न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था।

EVM की आलोचना करने वालों पर नाराज हुई सुप्रीम कोर्ट, तंत्र को कमजोर करने का प्रयास बताया

Gujarat News

Modified Date: April 16, 2024 / 11:26 pm IST
Published Date: April 16, 2024 10:45 pm IST

SC expresses displeasure over criticism of EVM: नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई और कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक ‘‘बहुत बड़ा काम’’ है और ‘‘तंत्र को कमजोर’’ करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था।

शीर्ष अदालत ईवीएम के साथ ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) का उपयोग करके डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन के अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

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SC expresses displeasure over criticism of EVM

वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस दलील की आलोचना की कि कई यूरोपीय देश वोटिंग मशीनों का परीक्षण करने के बाद मतपत्र के जरिये मतदान पर वापस लौट आए हैं।

न्यायमूर्ति दत्ता ने गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण से कहा, ‘‘यह (भारत में चुनाव) एक बहुत बड़ा कार्य है। कोई भी यूरोपीय देश ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता। आपने जर्मनी की बात की लेकिन वहां की आबादी कितनी है। मेरा गृह राज्य पश्चिम बंगाल जर्मनी से कहीं अधिक आबादी वाला है। हमें चुनावी प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा। इस तरह तंत्र को कमजोर करने की कोशिश न करें।’’

भूषण ने जर्मनी का उदाहरण देते हुए मतपत्र से चुनाव कराने पर लौटने की वकालत की थी। पीठ ने कहा कि भारत में लगभग 98 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं।

इसने कहा, ‘‘कुछ मानवीय त्रुटियों के कारण मतों की गिनती में कुछ विसंगति हो सकती है, लेकिन इसे रोका और सुधारा जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति खन्ना ने अतीत में बूथ कब्जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘श्रीमान भूषण, हम सभी ने 60 का दशक देखा है। हमने देखा है कि पहले क्या होता था जब ईवीएम नहीं थे। हमें यह आपको बताने की जरूरत नहीं है।’’

पीठ ने अदालत में मौजूद निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से ईवीएम की कार्यप्रणाली, उनके भंडारण और डेटा हेरफेर की संभावना के बारे में सवाल किये।

पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि आप हमें ईवीएम के बारे में ‘ए’ से ‘जेड’ तक प्रत्येक विवरण से अवगत कराएं।’’

भूषण ने कहा कि वह यह भी चाहते हैं कि प्रत्येक मतदाता को वीवीपैट मशीन से डाले गए वोट की पर्ची एकत्र करने और उसे मतपेटी में डालने की अनुमति दी जानी चाहिए।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com