नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह इस बारे में विचार करेगा कि व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं के डेटा उसकी मूल कंपनी फेसबुक और अन्य के साथ साझा करने की नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर अभी सुनवाई करना चाहिए, या इस संबंध में केंद्र सरकार के एक नये विधेयक का इंतजार करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने दलील दी है कि वह बजट सत्र में डेटा सुरक्षा विधेयक लाने जा रहा है।
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली एक संविधान पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि डेटा सुरक्षा विधेयक मौजूदा संसद सत्र के दूसरे चरण में पेश किये जाने की संभावना है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि संसद में पेश किये जाने वाले विधेयक का इंतजार करने में कोई नुकसान नहीं है और इस बीच कुछ अप्रिय नहीं होने जा रहा है।
इस विषय पर अब बुधवार को सुनवाई होगी।
पीठ ने कहा, ‘‘हम यह सुझाव देना चाहते हैं कि यदि एक विधायी ढांचा उपलब्ध है और यदि सरकार इस पर विचार कर रही है, तो क्या हमें यह कवायद अभी करनी चाहिए। क्या यह अप्रासंगिक नहीं होगा।’’
पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार शामिल हैं।
व्हाट्सऐप का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुझाव दिया कि शीर्ष अदालत को विधेयक पेश किये जाने का इंतजार करना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि निजी डेटा को फेसबुक समूह की कंपनियों के साथ साझा नहीं किया जा सकता।
शीर्ष अदालत दो विद्यार्थियों, कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें दोनों कंपिनियों के बीच हुए एक समझौते को चुनौती दी गई है।
इस समझौते के तहत उपयोगकर्ताओं की निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हुए उनके दस्तावेज, कॉल, तस्वीरें, लिखित सामग्री और वीडियो तक पहुंच प्रदान की गई है।
भाषा संतोष सुभाष
सुभाष
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