Mission 2023: भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में शुरू से बीजेपी और कांग्रेस का दबदबा रहा है। प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरी कोई बड़ी पार्टी भले ही पैर जमाने में सफल नहीं हो सकी है, लेकिन यहां अन्य दल इन दो पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों बीजेपी और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हैं। 2023 की तैयारी में जुटी बीजेपी और कांग्रेस के सामने इस तीसरे मोर्चे यानी छोटे दलों से वोटों का बिखराव रोकने की चुनौती है। प्रदेश में कई सीटों पर जहां दोनों दलों में कांटे की टक्कर की संभावना दिख रही है।
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Mission 2023: दरअसल, मध्य प्रदेश में बीजेपी अपना वोट शेयर 51 प्रतिशत तक पहुंचाने की कोशिश में है, लेकिन इसमें बड़ी बाधा अन्य दल बन सकते हैं। वोटों के इस बिखराव के कारण ही बीजेपी और कांग्रेस चिंतित हैं। पिछले चार विधानसभा चुनावों के परिणामों का विश्लेषण करें तो अन्य दलों को अधिकतम 18 और न्यूनतम साढ़े आठ प्रतिशत वोट मिले हैं। 2003 में 13 प्रतिशत वोट लेकर अन्य दलों ने 13 सीटें जीती थीं। 2008 के चुनाव में 17 प्रतिशत वोट लेकर 13 सीट पर कब्जा किया था। 2013 में साढ़े आठ प्रतिशत वोट ही मिले और सीटें चार मिलीं। अन्य दलों को 2018 में 18 प्रतिशत वोट मिले और सात सीटों पर उसका कब्जा रहा। कांटे के मुकाबले में बीजेपी सत्ता से भले ही दूर रह गई, लेकिन उसे वोट 41 प्रतिशत मिले थे, जबकि सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा जुटाने में सफल रही कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
Mission 2023: परिणाम के विश्लेषण में स्पष्ट हुआ कि अन्य की मौजूदगी ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की उम्मीदों पर चोट पहुंचाई थी और बीजेपी को सरकार बनाने से रोक दिया था। पिछले तीन विधानसभा चुनावों में वोटों की तस्वीर देखें तो स्पष्ट है कि अलग-अलग दल 17 प्रतिशत तक वोट लेते आए हैं, प्रदेश की सियासत में निकाय चुनाव में एक महापौर और 50 पार्षद जिताकर आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री करी है,और आम आदमी पार्टी की तैयारी 2023 में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने की है वहीं बसपा ने ग्वालियर चंबल और विंध्य बुंदेलखंड में अपनी खोई हुई जमींन की तलाश शुरू कर दी है समाजवादी पार्टी अपनी प्रभाव वाली सीटों पर एक्टिव हो गई है।
Mission 2023: वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने निकाय चुनाव में महाकौशल क्षेत्र में जबरदस्त परिणाम दिए है यानि विधानसभा में गोंडवाना पार्टी कांग्रेस बीजेपी को नुकसान पहुचांएगी, मालवा निमाड़ और आदिवासी बाहुल्य नीलों में जयस की सक्रियता जबरदस्त दिखाई दे रही है। लेकिन 2023 को लेकर सवाल ये है कि ये दल किसे अधिक नुकसान पहुंचाएंगे? कुल मिलाकर देखा जाए तो ये दल उन 25-30 सीटों पर जिताऊ प्रत्याशियों के लिए सिरदर्द बनेंगे, जहां हार-जीत का अंतर पांच हजार वोटों के नीचे होगा। बीजेपी का दावा है कि ये सारे दल कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगे वहीं कांग्रेस का कहना है इन दलों की मौजूदगी से उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला है।
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