कई विभागों में भ्रष्टाचार का खुला खेल, काम के हिसाब तय होती है रकम, 7 सालों में एमपी के 1658 रिश्वतखोर अफसरों पर हुई कार्रवाई

Open game of corruption in many departments, amount is decided according to work

कई विभागों में भ्रष्टाचार का खुला खेल, काम के हिसाब तय होती है रकम, 7 सालों में एमपी के 1658 रिश्वतखोर अफसरों पर हुई कार्रवाई
Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: September 29, 2021 7:16 pm IST

भोपालः मध्यप्रदेश में भले ही जीरो करप्शन का दावा किया जाता हो मगर हकीकत बिल्कुल अलग है। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। अगर आम आदमी पैसे न दे तो उसका काम नहीं बनता। मजबूरी में मेहनत की कमाई घूसखोर अफसरों को देनी पड़ती है। मध्यप्रदेश में बीते 3 दिन में लोकायुक्त पुलिस ने अलग-अलग शहरों में 10 से ज्यादा अफसरों-कर्मचारियों को घूस लेते पकड़ा है। कई सरकारी विभागों में रिश्वत का खेल लगातार जारी है।

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रिश्वतखोरी ये एक ऐसा दीमक है जो लगातार सरकारी सिस्टम को खोखला कर रहा है। मध्यप्रदेश के कई विभागों में घूसखोरी क खुला खेल चल रहा है। आलम ये है कि रिश्वतखोर 50 रुपए के काम के लिए 500 रुपए तक रिश्वत मांगते हैं। कुछ ने तो रिश्वत के लिए अपना कमीशन फिक्स कर रखा है। 10%, 15% और 20% के हिसाब से रिश्वत का क्राइटेरिया बना रखा है। हाल ही में 30 लाख रुपये के भुगतान के लिए एमपी में 10 फीसदी कमीशन के हिसाब से 3 लाख रुपए लिए गए थे।

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रिश्वतखोरी में मध्यप्रदेश के कई विभाग टॉप पर हैं। सबसे ज्यादा मामले राजस्व, पंचायत और पुलिस विभाग के हैं। रिश्वत आड़ में काले कारनामे और अवैध धंधे लगातार फलफूल रहे है। मध्य प्रदेश में 7 साल में 1658 घूसखोर अफसर पकड़ाए। भोपाल में 30 अफसर पकड़ाए और 5 लाख 40 हजार रुपए जब्त किए। इंदौर में 38 अफसर को 6 लाख 35 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा है। ग्वालियर में 30 अफसर को घूस लेते पकड़ा। साथ ही 12 लाख 45 हजार रुपए जब्त किए। जबलपुर में 36 अफसरों को गिरफ्तार किया और 8 लाख 25 हजार रुपए जब्त किए रीवा में 27 अफसर अरेस्ट हुए। इनके पास से 5 लाख 45 हजार रुपए जब्त किए। सागर में 40 अफसर पकड़ाए और 6 लाख 89 रुपए जब्त किए। उज्जैन में 30 अफसर को 2 लाख 69 हजार रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया।

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रिश्वत के खेल में सबसे ज्यादा बदनाम राजस्व विभाग है। यहां जमीन सीमांकन, नामांतरण, रजिस्ट्री हो या दूसरा कोई भी काम बिना रिश्वत के संभव नहीं, जहां भोले-भाले ग्रामीणों, किसानों को परेशान किया जाता है। छोटे-छोटे काम के लिए भी पैसे लिए जाते हैं। ऐसे में बार-बार यही सवाल उठ रहा कि प्रदेश में रिश्वतखोरी पर कब लगाम लगेगी?

 


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।