जेल में गौतम नवलखा को लेखक वोडहाउस की किताब नहीं देना ‘हास्यास्पद‘ : अदालत |

जेल में गौतम नवलखा को लेखक वोडहाउस की किताब नहीं देना ‘हास्यास्पद‘ : अदालत

जेल में गौतम नवलखा को लेखक वोडहाउस की किताब नहीं देना ‘हास्यास्पद‘ : अदालत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : April 4, 2022/8:15 pm IST

मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय सोमवार को उस समय हैरान रह गया, जब उसे यह बताया गया कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को महाराष्ट्र में तलोजा जेल के अधिकारियों ने ‘सुरक्षा को खतरा’ का हवाला देते हुए प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक पी. जी. वोडहाउस द्वारा लिखित एक किताब देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति एस.बी शुक्रे और न्यायमूर्ति जी. ए. सनप की पीठ ने सुरक्षा को खतरा के आधार पर किताब नहीं दिए जाने को ‘हास्यास्पद’ करार दिया। पीठ नवलखा द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने अपनी अधिक उम्र होने की वजह से तलोजा जेल से हटाकर घर पर नजरबंद किए जाने का अनुरोध किया है।

नवलखा के वकील युग चौधरी ने सोमवार को तलोजा जेल की दयनीय स्थिति को लेकर अफसोस जताया था और कहा था कि उनके मुवक्किल को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि नवलखा को तेज दर्द होने के बावजूद उन्हें बैठने के लिए कोई कुर्सी नहीं दी गयी और अतीत में, उनका चश्मा चोरी हो गया था और जेल अधिकारियों ने उनेके परिवार द्वारा भेजा गया चश्मा लेने से इनकार कर दिया था।

चौधरी ने कहा, ‘किताबें दिए जाने से इनकार किया जा रहा है। पी. जी. वोडहाउस की एक किताब, जिसे हास्य पुस्तक माना जाता है, उनके परिवार ने भेजी थी और जेल अधिकारियों ने इसे दो बार ‘सुरक्षा खतरा’ बताते हुए उन्हें सौंपने से इनकार कर दिया।’

पीठ ने जांच एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के वकील संदेश पाटिल से पूछा कि क्या यह सच है।

न्यायमूर्ति शुक्रे ने कहा, ‘क्या यह सच है? वोडहाउस को सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है? यह वास्तव में हास्यास्पद है। वोडहाउस मराठी लेखक और हास्य रचनाकार पी. एल. देशपांडे के लिए प्रेरणास्रोत थे।’

न्यायमूर्ति शुक्रे ने कहा, ‘यह जेल अधिकारियों के रवैये को दर्शाता है। अभियोजन एजेंसी के रूप में एनआईए का काम यह सुनिश्चित करना है कि गिरफ्तार व्यक्ति का जीवन जेल में आरामदायक हो। कम से कम बुनियादी जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए।’

पीठ ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार के वकीलों की अनुपस्थिति पर भी नाराजगी जतायी।

बाद में, अतिरिक्त लोक अभियोजक संगीता शिंदे अदालत में पेश हुईं और उपस्थित नहीं होने के लिए माफी मांगी तथा पीठ से कोई आदेश पारित नहीं करने का अनुरोध किया।

पीठ ने शिंदे से लिखित माफी मांगने को कहा। मामले में अगली सुनवाई मंगलवार यानी पांच अप्रैल को होगी।

भाषा अविनाश दिलीप

दिलीप

 

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