मुंबई : Bombay High Court बम्बई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि दूसरी पत्नी अपने मृतक पति की पेंशन की हकदार नहीं हो सकती है, यदि पहली शादी को कानूनी तौर पर खत्म किये बिना ही यह (दूसरी) विवाह किया गया हो। न्यायमूर्ति एस जे कठवल्ला और न्यायमूर्ति जाधव की खंडपाीठ ने सोलापुर निवासी शामल टाटे की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने पेंशन का लाभ देने से सरकार के इनकार को चुनौती दी थी।
Read more : फिर बदलेगा मौसम का मिजाज, देश के कई राज्यों में हो सकती है बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान
Bombay High Court उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, टाटे के पति महादेव सोलापुर जिला कलेक्टर कार्यालय में चपरासी पद पर कार्यरत थे और उनका निधन 1996 में हो गया। महादेव ने जब दूसरी पत्नी से शादी की थी, उस वक्त वह शादीशुदा थे। महादेव की पहली पत्नी के कैंसर के कारण मर जाने के बाद दूसरी पत्नी टाटे ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि महादेव की बाकी पेंशन का उसे तत्काल भुगतान किया जाए।
Read more : प्रेम विवाह कर खाई थी साथ जीने-मरने की कसमें, ऐसा क्या हुआ कि दोनों ने कर ली आत्महत्या!
काफी विचार विमर्श के बाद राज्य सरकार ने टाटे की ओर से 2007 और 2014 के बीच दी गयी चार अर्जियों को खारिज कर दिया था। उसके बाद टाटे ने 2019 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उनकी दलील दी थी कि वह महादेव के तीन बच्चों की मां है और समाज में इस शादी के बारे में पता है। इसलिए वह पेंशन पाने की हकदार है, खासकर पहली पत्नी के मर जाने के बाद।
अदालत ने उच्चतम न्यायालय के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया था जिसमें इसने कहा था कि हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत जब तक पहली शादी को कानूनी तौर पर खत्म नहीं किया जाता है, तब तक दूसरी शादी वैध नहीं होती। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को पेंशन न देने का राज्य सरकार का फैसला सही था। राज्य सरकार ने कहा था कि केवल कानूनी तौर पर वैध पत्नी ही पेंशन की हकदार है। इसे साथ ही अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
पुणे में किया गया गाजा में मारे गए पूर्व सैन्य…
6 hours ago