‘ईआईए के मसौदा को सभी भाषाओं में तैयार करने पर अदालत के रूख को आक्रामक तौर से न ले केंद्र’ | 'Don't aggressively take the court's stand on drafting the EIA draft in all languages'

‘ईआईए के मसौदा को सभी भाषाओं में तैयार करने पर अदालत के रूख को आक्रामक तौर से न ले केंद्र’

‘ईआईए के मसौदा को सभी भाषाओं में तैयार करने पर अदालत के रूख को आक्रामक तौर से न ले केंद्र’

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : February 25, 2021/11:15 am IST

नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) के मसौदे को संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित सभी 22 भाषाओं में अनुवाद कराने के उसके विचार को केंद्र सरकार द्वारा ‘‘आक्रमक’’ रूप से नहीं लिया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि सुदूर क्षेत्रों के लोग ‘‘हमारे नागरिक’’ हैं जिनकी बात सुनी जानी चाहिए और अगर मसौदे को केवल अंग्रेजी एवं हिंदी में प्रकाशित किया जाता है तो वे इसे नहीं समझ पाएंगे।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की विशेष पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय से कहा, ‘‘अदालत के विचार को केंद्र सरकार द्वारा इतने आक्रामक रूप से नहीं लिया जाना चाहिए।’’

पीठ ने मंत्रालय से कहा, ‘‘आप इसका इतना कड़ा विरोध क्यों कर रहे हैं।’’ पीठ ने पूछा कि अगर अपने ही नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं तो सरकार को क्या समस्या है।

अदालत ने कहा कि अगर मसौदा ईआईए को केवल अंग्रेजी एवं हिंदी में प्रकाशित किया जाता है तो देश के सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोग इसकी विषय वस्तु नहीं समझ पाएंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘वे (सुदूर क्षेत्रों के लोग) हमारे नागरिक हैं। उन्हें भी सुना जाना चाहिए।’’

इसने कहा कि वैधानिक योजनाएं एवं सुशासन के सिद्धांत के मुताबिक विचार-विमर्श की प्रक्रिया में हर किसी को शामिल किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि सरकार के लिए मसौदा ईआईए को सभी भाषाओं में प्रकाशित कराना आसान होगा।

अदालत ने अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा से कहा कि सुनवाई की अगली तारीख 26 मार्च पर निर्देशों के साथ आएं कि मसौदा ईआईए बेहतर विचार-विमर्श प्रक्रिया के लिए क्या सभी 22 भाषाओं में अनूदित की जा सकती हैं।

सुनवाई के दौरान एएसजी शर्मा ने पीठ से कहा कि सभी 22 भाषाओं में अनुवाद करने में कई प्रशासनिक दिक्कतें होंगी और अनुवाद में मसौदा ईआईए की सभी वास्तविक विषय-वस्तु ठीक से नहीं आ पाएंगी।

साथ ही उन्होंने पीठ को आश्वस्त किया कि सरकार अदालत के विचार पर आक्रामक नहीं हो रही है।

भाषा नीरज प्रशांत

प्रशांत

 

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