CG Ki Baat: बारदान बिन 'किसान'...कैसे बिकेगा धान! किसानों को सता रही चिंता, तय समय में बिकेगा धान या नहीं? | CG Ki Baat: Bardan bin 'Kisan' ... how paddy will be sold! Worrying farmers, will paddy be sold in due time?

CG Ki Baat: बारदान बिन ‘किसान’…कैसे बिकेगा धान! किसानों को सता रही चिंता, तय समय में बिकेगा धान या नहीं?

CG Ki Baat: बारदान बिन 'किसान'...कैसे बिकेगा धान! किसानों को सता रही चिंता, तय समय में बिकेगा धान या नहीं?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : December 28, 2020/5:59 pm IST

रायपुर: प्रदेश में 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जारी है, जिसकी मियाद 31 जनवरी को खत्म हो जाएगी। यानी छुट्टियों को निकाल दिया जाए, तो किसानो के पास करीब 20 दिन बचे हैं, अपना धान बेचने के लिए। लेकिन अभी भी धान खरीदी केंद्रों में बारदाने की कमी और उठाव में हो रही देरी के कारण किसान परेशान है। किसानों को अब चिंता सता रही है कि तय समय में उनका धान बिकेगा या नहीं? दूसरी ओर इस मुद्दे पर सत्ता-पक्ष और विपक्ष के नेता आपस में भिड़ गए हैं। कांग्रेस जहां बारदाने की कमी को लेकर केंद्र को दोषी ठहरा रहा है, तो वहीं बीजेपी इसे सरकार की बहानेबाजी करार दे रही है।

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ये केवल एक या दो खरीदी केंद्रों की समस्या नहीं है बल्कि लगभग आधे प्रदेश में इसी तरह किसान बारदानों के लिए परेशान हैं। राज्य में 1 दिसंबर से धान खरीदी शुरू है जबकि इसकी मियाद 31 जनवरी को इस साल के लिए धान खरीदी बंद हो जाएगी। यानी अब प्रदेश के किसानों के पास 1 महीने का वक्त बचा है। बारदानों की कमी की वजह से कई जिलों में किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। ऐसे में जो किसान केंद्रों तक पहुंच गए हैं, उन्हें अपना धान बेचने के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है।

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दूसरी ओर धान खरीदी केंद्रों में बारदाने की कमी को दूरुस्त करने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार केंद्र सरकार को पत्र लिख रहे है। लेकिन केन्द्र की ओर से अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। नतीजतन धान खरीदी केन्द्र, धान संग्रहण केन्द्र और कस्टम मिलिंग वाले जगहों पर धान के साथ बारदाने भी जाम हो गए है। दरअसल छत्तीसगढ़ ने पहले ही केन्द्र से 3 लाख 50 हजार गठान की मांग की थी, जिस पर एक लाख 45 हजार बारदाने की सहमति मिली और अब तक केवल 1 लाख 5 हजार गठान ही प्राप्त हुए है। प्रदेश में अब तक 40 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा की धान खरीदी हुई है, जो राज्य सरकार के 90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी लक्ष्य का करीब 50 फीसदी है। प्रदेश में बारदाने की कमी के कारण किसान परेशान हैं। लेकिन इस अव्यवस्था पर सियासत पूरे उफान पर है।

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दरअसल चुनावी वादों को पूरा करने छत्तीसगढ़ सरकार ने MSP की अतिरिक्त राशि राजीव गांधी न्याय योजना में दी। दूसरी ओर ओडिसा और तेलंगाना में एमएसपी अतिरिक्त राशि देने क्रमश रायतु और कालिया नामक योजनाएं बनाई। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि जब ये राज्य योजना बनाकर एमएसपी से अतिरिक्त राशि दे सकते है तो छत्तीसगढ़ क्यों नहीं? अब देखना होगा केन्द्र सरकार किसानों के हित में FCI को छत्तीसगढ़ का चावल उपार्जन करने की अनुमति देती है कि नहीं ? सवाल ये भी कि अगर अनुमति मिली तो छत्तीसगढ़ सरकार का अगला प्लान क्या होगा?

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