जंग लड़ने के बाद चीनी सैनिक को हुई भारत से मोहब्बत, दोनों देशों के बीच नहीं चाहता जंग, देखें कैसा बना ये बेहद दिलचस्प रिश्ता | Chinese soldier fell in love with India after fighting the war Do not want war between two countries See how this interesting relationship became

जंग लड़ने के बाद चीनी सैनिक को हुई भारत से मोहब्बत, दोनों देशों के बीच नहीं चाहता जंग, देखें कैसा बना ये बेहद दिलचस्प रिश्ता

जंग लड़ने के बाद चीनी सैनिक को हुई भारत से मोहब्बत, दोनों देशों के बीच नहीं चाहता जंग, देखें कैसा बना ये बेहद दिलचस्प रिश्ता

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:27 PM IST, Published Date : June 20, 2020/7:06 am IST

बालाघाट। ये कहानी है एक ऐसे युद्ध बंदी की जो की 1962 की जंग में गलती से भारत की सीमा में प्रवेश कर गया और फिर अगले सात सालों तक देश की अलग अलग जेलों में युद्ध बंदी की तरह रहा। आजाद हुआ तो उसने भारत को ही अपना घर बना लिया। यहीं शादी हुई और यही रच बस गया। भारत की सरकार और यहां के लोगों ने भी उसे प्यार और सम्मान दोनों ही दिया। बॉर्डर पर तनाव है और उसकी पथराई आंखें जो की जंग देख चुकी है, ये आंखे नहीं चाहती कि फिर दोनों देश आमने-सामने हो। वांग छी उर्फ राज बहादुर नाम का यह चीनी पूर्व सैनिक दुश्मन के साथ भी भारत की सहृदयता का एक बड़ा उदाहरण है।

बालाघाट के तिरोड़ी में राजबहादुर के नाम से पहचाना जाने वाला चीनी सैनिक जेल से आजाद होने के बाद बालाघाट के तिरोड़ी पहुंचा, यहां उसने अपना घर बसाया और शादी भी की। परिवार में बच्चों के साथ जिंदगी सुकून से चल रही है। लेकिन इसे एक मलाल है, मलाल इस बात का कि उसका अपना देश चीन और उसका अपना घर भारत आपस में फिर एक बार आमने- सामने हैं। एक लड़ाई में अपने देश में परिवार को खोने के बाद ये चीनी सैनिक चाहता है। कि दोनों देशों की सरकारें आपस में बात कर मसले को सुलझा लें। जंग ना हो क्योंकि जंग किसी का भला नहीं करती।

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चीन युद्ध बंदी के रूप में गिरफ्तार होकर भारत की जेलों में 7 साल बिताने के बाद वांग छी को एक नई पहचान मिली पहचान थी। राजबहादुर की भारत के लोगों ने दुश्मन को भी अपनापन और प्यार दिया, इतना ही नहीं यहां उसने एक भारतीय महिला से विवाह भी किया। और जब भारत में 57 साल बिता लेने के बाद उसे अपने वतन की याद आई तो भारत की सरकार ने ही वांग छी को उस के देश भी भेजा।

एक देश की नागरिकता और दूसरे देश में घर और वह दो देश भी ऐसे जिनके बीच आपस में तनाव है। वांग की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी की तरह है। 1962 में भारत चीन के बीच हुए युद्ध में इनकी उम्र 22 साल थी और चीनी सेना में सर्वेयर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। युद्ध विराम के बाद 1963 में भारत की सीमा में घुस आए। रेडक्रॉस की जीप दिखी तो लगा कि चीन की है, उसमें सवार हो गए। जीप हमारे देश की थी तो सेना के जवान वांग शी को असम छावनी में ले आए। फिर यह 1963 से लेकर 1969 तक देश की अलग अलग जेलों में रहे। आखिरी ठिकाना मध्यप्रदेश बालाघाट जिले में तिरोड़ी गांव बना। लेकिन इस सब के बाद भी 1962 से लेकर 2017 तक वांग छी को भारत ने ऐसा प्यार दिया कि उन्हें अपने देश की याद नहीं आई। यहां के लोगों के साथ उनका प्यार और व्यवहार देखते ही बनता है।

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वांग छी ना सिर्फ जंग देखी है बल्कि जंग के परिणाम भी देखे हैं। इस पूर्व चीनी सैनिक की चाहत है कि दोनों देशों के बीच जंग की तलवारे ना खिंचे शांति बहाल हो और सब प्यार से रहे।

वांग छी 1962 की जंग के बाद भारत में प्रवेश कर गए थे, 7 साल जेल में रहे, फिर भारत को ही अपना घर बना लिया। 1963 के बाद वर्ष 2017 में पहली बार चीन गए थे, 2018 में दो बार गए, तीसरी बार मार्च 2019 तक का वीजा मिला था, लेकिन लॉकडाउन के चलते अभी भारत में ही हैं। कभी चीन की सेना में रहे वांग छी पिछले 57 साल से भारत में रह रहे हैं।

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1963 से तमाम कोशिशों के बाद पहली बार 2017 में भारत सरकार की मदद से चीन जा पाए थे। चीन पहुंचने के बाद वहां से वीजा लेकर 2018 में दूसरी बार भारत आए। फिर चीन लौट गए। 2018 में ही वो तीसरी बार चीन से भारत फिर आए। इस बार वीजा मार्च 2019 तक के लिए था, लेकिन लॉकडाउन के चलते सारी फ्लाइट्स बंद हो गईं और वांग छी चीन नहीं लौट सके। वांग के बेटे-बेटी समेत आधा परिवार मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोड़ी में रहता है और भाइयों वाला आधा परिवार चीन में रहता है। करीब 7 साल अलग-अलग जेलों में बिताने के बाद सरकार ने वांग को जेल से छोड़ दिया और तिरोड़ी में ही रहने की इजाजत दी। 81 साल के वांग छी चीन के ही नागरिक हैं। उनका पासपोर्ट 25 मार्च 2013 को बना था।