सीएम भूपेश बघेल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, कृषि उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश वापस लेने का किया अनुरोध, रियायत पर लौह अयस्क देने का किया आग्रह | CM Bhupesh Baghel wrote a letter to PM Modi, agricultural products Request to withdraw trade and commerce ordinance Urged to give iron ore on concession

सीएम भूपेश बघेल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, कृषि उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश वापस लेने का किया अनुरोध, रियायत पर लौह अयस्क देने का किया आग्रह

सीएम भूपेश बघेल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, कृषि उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश वापस लेने का किया अनुरोध, रियायत पर लौह अयस्क देने का किया आग्रह

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : July 20, 2020/2:18 am IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर में स्टील उद्योगों को लौह अयस्क में रियायत और केन्द्र की कृषि संबंधित अध्यादेश वापस लेने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

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सीएम ने लिखा कि बस्तर में स्टील उद्योग को एनएमडीसी के माध्यम से 30 प्रतिशत रियायत पर लौह अयस्क उपलब्ध कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि इससे बस्तर में बड़े पैमाने पर स्टील उद्योगों का संचालन और इसके जरिए बड़े पैमाने पर स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। जिससे बस्तर के विकास और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

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मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख भी किया है कि राज्य शासन की ओर से भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी को इस आशय का प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। वही दूसरे पत्र में सीएम ने प्रधानमंत्री से केन्द्र सरकार का कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश वापस लेने का अनुरोध किया है। सीएम ने कहा कि केन्द्र से जारी अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है। रोजगार के अवसरों को कम करने वाला तथा संघीय ढांचे की मान्य परंपरा के विपरीत है।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर अंचल देश के विशिष्ट क्षेत्रों में से एक है। खनिज सम्पदा एवं वन सम्पदा की प्रचुरता के बाद भी बस्तर अंचल राज्य एवं देश के अन्य भागों की तुलना में सभी मानकों में पिछड़ा हुआ है। सघन वन क्षेत्रों एवं वन संरक्षण अधिनियम के कड़े प्रावधानों के कारण बस्तर में आर्थिक गतिविधियां के अवसर अत्यन्त सीमित है। अंचल में व्याप्त बेरोजगारी के कारण ही वहां नक्सल गतिविधियां के प्रसार होने से स्थिति और जटिल हो गयी है। वर्ष 2015 में डी.एम.एफ. योजना के आरंभ से खनन प्रभावित परिवारों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा भी विगत डेढ़ वर्षो की अवधि में बस्तर के लोगों के जीवन में सुधार हेतु अनेक अभिनव कार्य आरंभ किए गए है। किन्तु रोजगार के नए अवसरों का बड़े पैमाने पर सृजन किए बिना बस्तर का विकास संभव नहीं है।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि एनएमडीसी द्वारा दंतेवाड़ा जिले में विगत लगभग आधी शताब्दी से बड़ी मात्रा में लौह अयस्क का खनन किया जा रहा है। लौह अयस्क की प्रचुरता के बाद भी विषम परिस्थितियों के विद्यमान होने के कारण निजी उद्यमियों के लिए बस्तर में स्टील उद्योगों की स्थापना लाभप्रद नहीं है। यदि एन.एम.डी.सी. द्वारा बस्तर में स्टील निर्माण किए जाने वाले निवेशकों को लौह अयस्क 30 प्रतिशत की छूट पर दिया जाए तो इससे बस्तर अंचल में छोटी-बड़ी अनेक स्टील निर्माण इकाइयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा तथा स्थानीय निवासियों हेतु प्रत्यक्ष रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो सकते है।

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