भारत का ऐसा रेलवे स्टेशन जहां टिकट काउंटर ही नहीं, रोजाना सैकड़ों यात्री करते हैं मुफ्त यात्रा | No ticket counter in this railway station of India

भारत का ऐसा रेलवे स्टेशन जहां टिकट काउंटर ही नहीं, रोजाना सैकड़ों यात्री करते हैं मुफ्त यात्रा

भारत का ऐसा रेलवे स्टेशन जहां टिकट काउंटर ही नहीं, रोजाना सैकड़ों यात्री करते हैं मुफ्त यात्रा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : July 15, 2019/6:02 pm IST

हटा: क्या आपने कोई ऐसा रेलवे स्टेशन देखा है, जंहा टिकट काउंटर ही न हो, क्या आपने ऐसी जगह से रेल यात्रा की शुरुआत की है, जंहा टिकेट ही न लेना पड़े। जवाब होगा नहीं, लेकिन आज हम आपको ऐसी ही एक जगह के बारे में बता रहे हैं जहां स्टेशन तो है, लेकिन टिकट काउंटर नहीं है। अब टिकट काउंटर नहीं है तो यात्री टिकट कहां से लेंगे। कहानी एक ऐसे ऐसे रेलवे स्टेशन की है, जहां स्टेशन स्थापना के बाद से आज तक टिकट काउंटर या टिकट काटने की व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी। नतीजन यंहा से प्रतिदिन कई यात्री मुफ्त में रेल यात्रा करते हैं।

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दरसअल यह स्टेशन कटनी-बीना रेलखंड पर स्थित छोटा सा रेलवे स्टेशन है, रतनगांव। पश्चिम मध्य रेलवे की निगरानी में आने वाले इस रेलखंड पर दिन भर में आधा सैकड़ा से अधिक रेलगाड़ियां धमाचौकड़ी करती गुजरती है। इनमे से 3 पैसेंजर ट्रेन का रतनगांव स्टेशन पर स्टॉपेज भी है, जिनमे रतनगांव, जामुन डांडा सहित आसपास के चार गांव के लोग यात्रा कर गन्तव्य तक पहुंचते हैं। इन गांव की करीब 80% आबादी रेल मार्ग से ही दमोह और कटनी जैसे शहरों की ओर यात्रा करते हैं। लेकिन यंहा से यात्रा करने वाले यात्रियों को कोई टिकट या भाड़ा नहीं देना पड़ता। इनकी यात्रा मुफ्त होती है।

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जी हां, सुनने में भले आपको विश्वास नहीं होगा, लेकिन यह सच है। रतनगांव स्टेशन से दमोह और कटनी तरफ की यात्रा करने वाले मुसाफ़िर रोज बिना टिकट यात्रा करते हैं। जिसका कारण यंहा कोई टिकट काउंटर या टिकट की व्यवस्था न होना है। टिकट काउंटर न होने के कारण स्टेशन पर अन्य कोई सुविधाएं भी नहीं है, आसपास के गांव के लोग बमुश्किल जंगल के पथरीले रास्तो से होकर स्टेशन पंहुचकर अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। यहां मोजूद स्टेशन मास्टर की मानें तो यहां आवागमन के साधन और जंगल क्षेत्र होने के कारण कोई सुविधाएं नहीं है। जिससे टिकेट घर भी नहीं है, यात्री अगले स्टेशनों से टिकट ले लेते हैं। दिन में 3 पैसेंजर ट्रेनों के माध्यम से लोग यात्रा करते हैं ।ग्रामीणों ने भी अपने गांव के रेलवे स्टेशन में व्यवस्थाओं की कमियां गिनाई, खैर रतनगांव स्टेशन पर टिकट न मिलने और अन्य व्यवस्थाओं के न होने के लिए जो भी कारण हो, लेकिन यह तो तय है कि रेलवे को इस मुफ्त के स्टेशन और निःशुल्क यात्रा से लाखों रूपए की चपत लगती है।

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