सुप्रीम कोर्ट का आदेश,वन क्षेत्रों में कब्जा जमाए लोगों को बेदखल करें राज्य सरकारें,10 लाख से ज्यादा लोग होंगे प्रभावित | Order of the Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट का आदेश,वन क्षेत्रों में कब्जा जमाए लोगों को बेदखल करें राज्य सरकारें,10 लाख से ज्यादा लोग होंगे प्रभावित

सुप्रीम कोर्ट का आदेश,वन क्षेत्रों में कब्जा जमाए लोगों को बेदखल करें राज्य सरकारें,10 लाख से ज्यादा लोग होंगे प्रभावित

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : February 22, 2019/9:57 am IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश के वन क्षेत्रों में अवैध रूप से कब्जा जमाए 10 लाख से ज्यादा लोगों की बेदखली का आदेश दिया है । देश के 21 राज्यों के लोग इससे प्रभावित होंगे। जिसमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है । दरअसल आदिवासियों और वनवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बने एक कानून का केंद्र सरकार बचाव नहीं कर सकी, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 21 राज्यों से जवाब तलब किया है। अदालत का आदेश सभी राज्यों के लिए बाध्यकारी होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आदेश दे दिया कि वे 27 जुलाई तक उन सभी आदिवासियों को बेदखल कर दें। जिनके दावे खारिज हो गए हैं। इसके साथ ही पीठ ने इसकी एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा करने को भी कहा है।ये लिखित आदेश 20 जनवरी को जारी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि GFX IN ‘राज्य सरकारें ये सुनिश्चित करेंगी कि जहां दावे खारिज करने के आदेश पारित कर दिए गए हैं, वहां सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले निष्कासन शुरू कर दिया जाएगा। अगर उनका निष्कासन शुरू नहीं होता है तो अदालत उस मामले को गंभीरता से लेगी।

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जंगलों की जमीन पर अवैध कब्जा जमाए बैठे आदिवासियों की बेदखली को को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश एक वन्यजीव समूह की याचिका को लेकर आया है। जिसमें उसने वन अधिकार अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाया था। याचिकाकर्ता ने ये मांग की थी कि वो सभी जिनके पारंपरिक वनभूमि पर दावे कानून के तहत खारिज हो जाते हैं, उन्हें राज्य सरकारें निष्कासित करें । इस कानून के बचाव के लिए केंद्र सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस इंदिरा की पीठ के समक्ष 13 फरवरी को अपने वकीलों को भेजा ही नहीं। इसी वजह से पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 जुलाई है। इस तारीख तक राज्य सरकारों को अदालत के आदेश से आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने का काम शुरू कर देना होगा।

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बता दें 16 राज्यों से खारिज किए गए दावों की कुल संख्या 1,127,446 है..जिसमें आदिवासी और अन्य वनवासियों की कब्जे वाली जमीन शामिल हैं। वहीं जिन राज्यों ने अदालत को अभी तक ऐसी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है। उन्हें उपलब्ध कराने को कहा गया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि ये संख्या और बढ़ सकती है। दरअअसल कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में वन अधिकार अधिनियम पास हुआ था। जिसके तहत सरकार को निर्धारित मानदंडों के विरुद्ध आदिवासियों और अन्य वनवासियों को पारंपरिक वनभूमि वापस सौंपना होता है। साल 2006 में पास होने वाले इस अधिनियम का वन अधिकारियों के साथ वन्यजीव समूहों और पर्यावरणविदों ने विरोध किया था । चुनावी दौर में इस आदेश ने केंद्र और राज्य सरकारों को दबाव में ला दिया है ।

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साल 2002-04 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब आखिरी बार वन भूमि से बेदखली का दौर शुरू हुआ था तो कई राज्यों इलाकों में हिंसा, हत्याओं और विरोध प्रदर्शनों की कई घटनाएं सामने आई थीं..और तब लगभग तीन लाख निवासियों को अपना स्थान छोड़ना पड़ा था।

 
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