पहले नाली में या सड़क किनारे फेंक देते थे गोबर, लेकिन अब 'गोधन न्याय योजना' रोजाना कमा रहे 500 रुपए | People Earn 500 Daily Via Godhan Nyay Yojana

पहले नाली में या सड़क किनारे फेंक देते थे गोबर, लेकिन अब ‘गोधन न्याय योजना’ रोजाना कमा रहे 500 रुपए

पहले नाली में या सड़क किनारे फेंक देते थे गोबर, लेकिन अब 'गोधन न्याय योजना' रोजाना कमा रहे 500 रुपए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : August 10, 2020/2:04 pm IST

दुर्ग: भिलाई के कोसा नाला के पशुपालक रोहित यादव के पास सोलह गायें हैं। हर दिन इनसे लगभग दो सौ से तीन सौ किलोग्राम गोबर होता है। इसका डिस्पोजल रोहित के लिए पहले बड़ी समस्या थी। गोधन न्याय योजना से यह समस्या तो दूर हो गई, उन्हें इसकी अच्छी खासी कीमत मिलने लगी है। हर दिन वे पांच सौ से छह सौ रुपए का गोबर बेच रहे हैं। 31 जुलाई को जब भुगतान हुआ तो रोहित के खाते में लगभग तीन हजार रुपए की राशि आई। रोहित ने बताया कि मेरे पास गोबर रखने के लिए जगह नहीं है। इसलिए हर दिन गौठान में आकर गोबर बेच देता हूँ। शहरी क्षेत्रों में गोबर का डिस्पोजल बड़ी समस्या है। अब यह योजना शुरू हो गई है तो मुझे इसके पैसे भी मिल रहे हैं। रोहित ने अपना गोबर जोन 4 स्थित शहरी गौठान में बेचा है। भिलाई के जोन 4 में स्थित शहरी गौठान की तरह ही अन्य खरीदी केंद्रों में भी रोहित की तरह अनेक हितग्राही 31 जुलाई को पहली खरीदी का भुगतान ले चुके हैं। 20 अगस्त को आगामी भुगतान की तिथि निर्धारित की गई है।

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उल्लेखनीय है कि नगर निगम कमिश्नर ऋतुराज रघुवंशी ने सभी जोन कमिश्नरों को हर दिन गोबर खरीदी और इसके पेमेंट की स्थिति की नियमित मानिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने वर्मी टैंक बनाने के काम में तेजी लाने के निर्देश भी जोन कमिश्नरों को दिए हैं ताकि गोबर की आवक के मुताबिक वर्मी टैंक तैयार रहें। भिलाई के शहरी गौठान में हर दिन हितग्राही लगभग सात हजार किलोग्राम के आसपास गोबर का विक्रय कर रहे हैं। अब तक लगभग 95 हजार किलोग्राम गोबर का विक्रय हो चुका है। यहां स्वसहायता समूहों की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट बनाने में जुट गई हैं। गोबर की तेजी से आ रही आवक को देखते हुए वर्मी टैंक बनाने की कार्यवाही भी तेजी से की जा रही है। यहां कार्य कर रही आर्य समूह की सुशीला जंघेल ने बताया कि जिस प्रकार से गोबर की तेजी से आवक हो रही है, उससे बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट के लिए कच्चा माल तैयार हो रहा है। हम लोग इसे प्रोसेस करने में लगे हैं। सुशीला ने बताया कि गोधन न्याय योजना में तेजी से भुगतान होने का बड़ा सकारात्मक असर दिखा है। पशुपालकों के लिए सरकार की यह योजना आर्थिक अवसर लेकर आई है। इससे लोग पशुधन को सहेजेंगे भी और पशुपालन को बढ़ावा भी मिलेगा।

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सरकार का यह कदम डेयरी इंडस्ट्री के लिए भी बहुत अच्छा होगा। उल्लेखनीय है कि शासकीय अवकाश के अलावा बाकी दिनों में खरीदी की सुविधा देने से शहरी पशुपालकों के लिए अच्छा अवसर है क्योंकि इनके पास गोबर रखने के लिए अधिक जगह नहीं होती। भिलाई में जिन जगहों पर गोबर की खरीदी की जा रही है वहां पर अतिरिक्त वर्मी कंपोस्ट बनाये जा रहे हैं। गोबर की आवक की संभावना के दृष्टिकोण से इन्हें तैयार किया जा रहा है।

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