बीजेपी में बागी सुर! क्या सिंधिया के बीजेपी में आने का असर अभी तक है? | Rebel in BJP Is Scindia's impact in BJP yet?

बीजेपी में बागी सुर! क्या सिंधिया के बीजेपी में आने का असर अभी तक है?

बीजेपी में बागी सुर! क्या सिंधिया के बीजेपी में आने का असर अभी तक है?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : April 2, 2021/6:15 pm IST

भोपाल: क्या मध्यप्रदेश बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है? क्या कुछ नेताओं के मन में असंतोष है? ये सवाल हम ऐसे ही नहीं उठा रहे है। दरअसल पिछले कुछ दिनों में अनूप मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और केपी यादव के रुख को देखकर ऐसा ही अनुमान लगाया जा रहा है। तीनों नेताओं की बेबाकी और अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जिस तरह इन्होंने अपना असंतोष जाहिर किया, उससे ये सवाल उठ रहा है कि घर की बात ऐसे बाहर क्यों रखी? क्या वाकई पार्टी में इनकी सुनवाई नहीं हो रही है? हालांकि बीजेपी नेता ऐसी किसी भी स्थिति से इंकार कर रहे हैं। वजह चाहे जो भी हो लेकिन कांग्रेस को बैठे-बिठाए सत्ता रूढ़ पार्टी को घेरने का मौका मिल गया है।

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दरअसल जिस नई मंडी में जाने का पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा विरोध कर रहे हैं उसका शिलान्यास बीजेपी सरकार के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ही किया था। इस प्रोजेक्ट को मंजूरी भी बीजेपी सरकार ने ही दी थी। आगे बढ़ने से पहले एक ट्वीट गुना से बीजेपी सांसद केपी यादव का देखिए जिसमें वो साफ लिखते हैं कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से भेंट की और क्षेत्र में चल रहे जुआ, सट्टा, स्मैक के कारोबार के साथ गौवंश के अवैध परिवहन पर कार्रवाई की मांग की और क्षेत्र की कानून व्यवस्था को लेकर चर्चा की। मप्र सरकार को साधुवाद कि होली भी मनी और गाइड लाइन का पालन भी कराया, माहौल सकारात्मक रहा, अब जनता की अपेक्षा है कि किसी भी दल के नेताओं के दौरों, क़ाफ़िलों में, सरकारी-ग़ैरसरकारी कार्यक्रमों में संख्या को लेकर वही सख़्ती दिखाई दे। इससे पहले विंध्य और महाकौशल की उपेक्षा को लेकर अजय विश्नोई भी पार्टी के खिलाफ कई बार असंतोष जता चुके हैं। एक ही इलाके के तीन बड़े नेताओं का ये रवैया बीजेपी में अंदर ही अंदर हो रही उठापटक की तरफ इशारा करता है। लेकिन बीजेपी नेताओं का कहना है कि सब ठीक है।

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अनूप मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और केपी यादव के रुख को देख कर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अपनी ही सरकार पर सवाल क्यों खड़े कर रहे हैं बीजेपी नेता। क्या बीजेपी के राज में नहीं हो रही है सांसदों की सुनवाई? क्या किसी रणनीति के तहत इस तरह के बयान दे रहे हैं नेता? क्या सिंधिया के बीजेपी में आने का अभी तक असर है? क्या खुद को सुर्खियों मे रखने के लिए नेता अपना रहे हैं ये हथकंडे? वैसे बीजेपी नेताओं की ये नाराजगी दमोह चुनाव से पहले कांग्रेस को अच्छा हथियार हाथ लगा है।

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वैसे उपचुनावों में अनूप मिश्रा के कांग्रेस में जाने की काफी अकटलें भी लगी थी। शुरु से महल के खिलाफ राजनीति करने वाले पवैया के लिए सिंधिया को अपनाना आसान नहीं होगा। जबकि लोकसभा चुनाव में सिंधिया को शिकस्त देने वाले के पी यादव को अब खुद का करियर मुश्किल में दिख रहा होगा और शायद यहीं वजह है कि ये नेता सत्ता और संगठन के खिलाफ मुखर हो रहे हैं।

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