कुआं बना काल...मौत पर बवाल! हादसों के दोषी कौन हैं...क्या वो सिर्फ दोषी हैं या हत्यारे भी? | The well became a ruckus of death! Who are to blame for the accidents...are they only guilty or even murderers?

कुआं बना काल…मौत पर बवाल! हादसों के दोषी कौन हैं…क्या वो सिर्फ दोषी हैं या हत्यारे भी?

कुआं बना काल...मौत पर बवाल! हादसों के दोषी कौन हैं...क्या वो सिर्फ दोषी हैं या हत्यारे भी?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : July 16, 2021/6:38 pm IST

भोपाल: विदिशा के गंजबासौदा में गुरूवार शाम एक ऐसा हादसा हुआ जिसकी तस्वीरों ने प्रदेश क्या पूरे देश को झकझोर दिया। हादसे की शुरूआत हुई गुरूवार शाम को जब गांव का एक बच्चा कुएं में गिरा। उसे बचाने जब गांव के लोग कुएं के पास जमा हुए तो, कुएं की पूरी ऊपरी दीवार धंसक गई और 30 से ज्यादा लोग कुएं में समा गए। 9 शव निकाले जा चुके हैं, लेकिन उस बच्चे समेत आधा दर्जन से ज्यादा लापता लोगों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। साथ ही जारी है सवालों और सफाई वाली सियासत। पीड़ित परिवार कहता है कई बार फोन करने के बाद भी 2 घंटे बाद पुलिस आ पाई। सरकार कहती है लोगों ने देर से बताया। विपक्ष कहता है हादसे में हुई मौत का जिम्मेदार प्रशासन है, तो सत्तापक्ष कह रहा है मौतों पर सियासत कर रहा है विपक्ष। सबसे बड़ा सवाल ये कोई जिम्मेदार है इस हादसे का? कोई सबक लिया जाता है ऐसी घटनाओं से या इसे होनी कहकर फिर से भुलाने का चलन निभाया जाएगा?

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विदिशा के गंजबासौदा में रोते बिलखते चेहरे मध्यप्रदेश सरकार के सुशासन की चमकती तस्वीर पर धब्बा हैं, औरतों की ये सिसकियां शायद वल्लभ भवन के एसी कमरों में बैठे अफसरों को सुनाई न दे। लेकिन हमें तो सरकार के गवर्नेंस के चिथड़े भी दिखाई दे रहे हैं मजलूमों की सिसकियां भी सुनाई दे रही हैं, तो फिर आप भी देखिए, आप भी सुनिए क्योंकि उन्हें न तो ये दिखेगा न सुनाई देगा। तय आपको करना है कि ऐसे हादसों के दोषी कौन हैं? क्या वो सिर्फ दोषी हैं या फिर हत्यारे भी हैं? आप किसी नतीजे पर पहुंचे उसके पहले रोती बिलखती माओं को सुन लीजिए, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़ों को मौत के कुएं में मरते देखा है।

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दरअसल इन औरतों के आरोप काफी हद तक वाजिब भी हैं। इतने बड़े गांव में एक हैंडपंप का भी न होना भी कई सवालों को जन्म देता है, क्योंकि अगर उस गांव में या हर चार घर के बीच एक हैंडपंप होता तो शायद 13 साल का रवि कुएं पर न जाता और उसे बचाने के चक्कर में 30 लोग मौत के कुएं में न गिरते। गुरुवार शाम 6.30 बजे हुए हादसे के बाद से ही ग्रामीणों और प्रशासन का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। 20 से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है जबकि 4 से ज्यादा लाशें निकाली जा चुकी हैं। कांग्रेस ने मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। कांग्रेस ने इस घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कमलनाथ ने मृतकों के परिवार को 15 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है। आरोप भी लगाया है कि मुख्यमंत्री घटना स्थल के नजदीक ही थे लेकिन वो मौके पर नहीं गए।

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गंजबासौदा में हुए इस दर्दनाक हादसे के बाद सियासत ने भी अपना रंग दिखाना शुरु कर दिया है। बीजेपी-कांग्रेस बयानबाजी में उलझी है। कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने जवाब दिया और कहा कि कांग्रेस लाशों पर राजनीति करती है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा करते रहे, जांच के आदेश भी मुख्यमंत्री ने दे दिए और मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा भी दे दिया। जिले के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी मौके पर खड़े रहकर रेस्कय्यू ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में डटे रहे।

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गंजबासौदा की ये दर्दनाक घटना मध्यप्रदेश में पहली नहीं है। इसके पहले भी बोरवेल में गिरे मासूमों को बचाने के लिए हमने सिस्टम की नाकाम कोशिशें देखी हैं। लेकिन क्या सिस्टम इन घटनाओं से सबक लेता रहा है। सवाल अब भी यही है और जवाब अब भी ना ही है। लेकिन हम तो यही उम्मीद करते हैं कि मध्यप्रदेश में अब ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

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