संकटमोचन हनुमान जी से कृपा पाने का ये है अचूक उपाय, दिन में एक बार जरूर करें पाठ | This is the surest way to get favor from Hanuman ji, definitely read once a day

संकटमोचन हनुमान जी से कृपा पाने का ये है अचूक उपाय, दिन में एक बार जरूर करें पाठ

संकटमोचन हनुमान जी से कृपा पाने का ये है अचूक उपाय, दिन में एक बार जरूर करें पाठ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : April 5, 2020/5:21 am IST

धर्म। श्रीराम भक्त वीर हनुमान सभी तरह के कष्टों का पल भर में दूर कर देते हैं। उनकी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा रहती है। ऐसे में हनुमान जी की कृपा पाने के लिए एक अचूक उपाय बताने जा रहे हैं। जिसका पाठ करने से संकट तो दूर होंगे साथ ही घर में सुख और शांति का प्रवेश भी होता है।

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बता दें कि 8 अप्रैल को हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि आप वीर हनुमान जी का पाठ करना अभी से ही शुरू कर दें।

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बाल समय रवि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों
ताहि सो त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो
देवन आनि करी विनती तब,
छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो, को –

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महामुनि शाप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के शोक निवारो, – को –

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीश यह बैन उचारो
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो,- को –

रावण त्रास दई सिय को तब ,
राक्षसि सो कही सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मारो
चाहत सीय असोक सों आगिसु ,
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो, -को –

बान लग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सुत रावन मारो
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो
आनि संजीवन हाथ दई तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो, – को –

रावन युद्ध अजान कियो तब ,
नाग कि फांस सबै सिर डारो
श्री रघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो,- को –

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो
देवहिं पूजि भली विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो,- को –

काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसो नहिं जात है टारो
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो,- को –

दोहा-
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर
बज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर

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