’राजा’ नहीं किसान...बढ़ा कद, बढ़ी जिम्मेदारी! क्या विपक्ष तोड़ पाएगी किसान हितैषी और मजबूत किसान पुत्र वाली छवि? | Will the Opposition break the image of a farmer friendly and strong farmer son?

’राजा’ नहीं किसान…बढ़ा कद, बढ़ी जिम्मेदारी! क्या विपक्ष तोड़ पाएगी किसान हितैषी और मजबूत किसान पुत्र वाली छवि?

’राजा’ नहीं किसान...बढ़ा कद, बढ़ी जिम्मेदारी! क्या विपक्ष तोड़ पाएगी किसान हितैषी और मजबूत किसान पुत्र वाली छवि?

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : January 7, 2021/4:48 pm IST

रायपुरः इस वक्त प्रदेश में किसानों का बड़ा हितैषी कौन इसे लेकर बहस का नया मोर्चा खुला हुआ है। मुख्यमंत्री स्वयं को किसान का बेटा बताना ज्यादा पसंद करते हैं, उनकी छवि प्रदेश में किसान पुत्र और देश में मजबूत नेता के तौर पर बन चुकी है। पार्टी भी उनके चेहरे को किसान ब्रांड नेता के तौर पर इस्तेमाल करने में गुरेज नहीं करती। इधर, विपक्ष ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता, जहां वो किसानों से किया वायदा याद दिलाकर सरकार को घेर सके। कुल मिलाकर क्या विपक्ष इतनी आसानी से सरकार के किसान हितैषी और मुखिया के मजबूत किसान पुत्र वाली छवि को तोड़ पाएगी? यह एक बड़ा सवाल है।

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बिलासपुर में एक कार्यक्रम के मंच पर मुख्यमंत्री का राजा कहकर स्वागत करना, खुद प्रदेश के मुखिया को भाया नहीं। मुख्यमंत्री ने बड़ी सहजता से कहा कि वो एक किसान पुत्र हैं और उन्हें किसान ही रहने दें।

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वैसे ये पहला मौका नहीं, जब भूपेश बघेल ने अपनी किसान छवि और ठेठ अंदाज से लोगों का दिल जीता हो। सीएम बनने के बाद से अब तक भूपेश बघेल ने लगातार जनता के बीच छत्तीसगढ़िया मनखे की छवि को स्थापित किया है। भूपेश सरकार का पूरा विजन ही गांव-खेती और किसान पर आधारित रहा है, फिर भला उनके किसान हितैषी चेहरे पर कोई भी दूसरा रूप कैसे फिट हो सकता है।

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दूसरी ओर विपक्ष हर मुमकिन कोशिश में है कि मुख्यमंत्री की ठेठ किसान हितैषी छवि को डैमेज किया जाए। धान खरीदी समेत कई मुद्दे पर बीजेपी राज्य सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रही है…।

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ये पूरी तरह सच है कि पिछले सालों में भूपेश बघेल की पहचान ना सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि देशभर में राजनीति अखाड़े में बड़े और मजबूत कांग्रेस नेता के तौर उभरी है, जिसे भांपते हुए आलाकमान ने भी उन्हें लगातार बड़ी जिम्मेदारियां दीं है। पहले…उत्तरप्रदेश-बिहार चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर, तो अब असम विधासभा चुनाव में उन्हें वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त कर पार्टी में उनके बढ़ते कद को देखा जा सकता है। लेकिन प्रदेश में उनकी किसान पुत्र वाली छवि, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और छत्तीसगढ़िया अस्मिता के रक्षक की भी छवि इतनी मजबूत है, जिसे तोड़ पाना फिलहाल विपक्ष के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है।

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