नई दिल्ली : ‘Free Nipple’ campaign : पूरी दुनिया में एक समय ‘फ्री निप्पल’ कैंपेन चलाया गया था। इस कैंपेन के दौरान महिलाएं अपनी छाती (ब्रेस्ट) की नग्न तस्वीरें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती थी। इस कैंपने को सोशल मीडिया पर बैन कर दिया गया था। वहीं अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने ‘फ्री निप्पल’ कैंपेन से बैन हटा लिया है।इसका मतलब है कि अब जल्द ही कुछ महिलाओं को अपनी छाती (ब्रेस्ट) की नग्न तस्वीरें फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने की इजाजत मिल जाएगी।
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‘Free Nipple’ campaign : फेसबुक ने करीब एक दशक पहले ब्रेस्ट की न्यूड तस्वीरें पोस्ट करने पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि अब उसकी पैरेंट कंपनी मेटा ने इस पॉलिसी में बदलाव किया है। इस बैन के चलते फेसबुक के खिलाफ दुनियाभर में महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। खासकर फ्री निप्पल कैंपेन वालों ने। उनका कहना था कि फेसबुक उन महिलाओं को पॉर्न स्टार के तौर पर ट्रीट करता है जो अपने ब्रेस्ट की न्यूड तस्वीरें पोस्ट करती हैं। साल 2008 में तो महिलाओं के एक समूह ने फेसबुक के मुख्यालय के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया था।
‘Free Nipple’ campaign : कंटेंट पॉलिसी को लेकर सलाह देने वाले ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा से कहा था कि वह महिलाओं और ट्रांस लोगों की न्यूड ब्रेस्ट वाली तस्वीरों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करे। ओवरसाइट बोर्ड में शिक्षाविदों, राजनेताओं और पत्रकारों का एक समूह होता है, जो कंपनी को उसकी कंटेंट-मॉडरेशन पॉलिसी पर सलाह देते हैं। ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का सम्मान करने के लिए अपनी एडल्ट न्यूडिटी और सेक्सुअल एक्टिविटी कम्युनिटी स्टैंडर्ड को बदलने का सुझाव दिया।
‘Free Nipple’ campaign : ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा को “स्पष्ट, उद्देश्य के साथ अधिकारों का सम्मान करने वाले मानदंडों को परिभाषित करने के लिए कहा है, ताकि इसके एडल्ट न्यूडिटी और सेक्सुअल एक्टिविटी कम्युनिटी स्टैंडर्ड को सही से कंट्रोल किया जा सके। साथ ही सभी लोगों के साथ सेक्स के आधार पर भेदभाव किए बिना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप व्यवहार किया जा सके।” इसने कहा कि मेटा को पहले इस तरह के बदलाव पर एक व्यापक मानवाधिकार प्रभाव का आकलन करना चाहिए, विविध हितधारकों को शामिल करना चाहिए, और पहचानी गई किसी भी हानि को दूर करने के लिए एक योजना तैयार करनी चाहिए।
‘Free Nipple’ campaign : ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा को ऐसे समय में अपना आदेश वापस लेने की सलाह दी है जब ट्रांसजेंडर और गैर-बाइनरी के रूप में पहचान रखने वाले एक कपल ने उनसे संपर्क किया था। इस कपल ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2021 और 2022 में इंस्टाग्राम पर दो अलग-अलग कंटेंट पोस्ट किए। इसमें उन्होंने अपनी ब्रेस्ट की न्यूड तस्वीरें पोस्ट की थीं लेकिन निप्पल को ढक दिया था। तस्वीर के कैप्शन में उन्होंने ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य देखभाल के बारे में लिखा था। उन्होंने बताया कि कपल में से एक शख्स ने अपनी डेंजर संबंधित सर्जरी कराई थी। हालांकि, मेटा ने दोनों पोस्ट को सेक्सुअल सॉलिसिटेशन कम्युनिटी स्टैंडर्ड के उल्लंघन का हवाला देते हुए हटा दिया। अब बोर्ड ने अपने निष्कर्षों में खुलासा किया है कि इन पोस्ट को हटाना मेटा के कम्युनिटी स्टैंडर्ड के अनुरूप नहीं है। ये मामले मेटा की पॉलिसी के मूलभूत मुद्दों को भी उजागर करते हैं।
‘Free Nipple’ campaign : बता दें कि ‘फ्री द निप्पल’ नाम से कई महिलाओं ने एक ग्लोबल मूवमेंट चलाया है। इस आंदोलन में महिलाओं की मांग है कि उनको भी पुरुषों की ही तरह टॉपलेस घूमने का अधिकार दिया जाए। साथ ही उनका मानना था कि महिलाओं का शरीर सिर्फ सेक्सुअल ऑबजेक्ट नहीं है। इस कैंपेन का असर यह हुआ कि अमेरिका में कुछ जगहों पर महिलाओं को इसकी इजाजत भी मिल गई।
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1 day ago