भोपाल में लोगों ने वीवीआईपी बंगलों के लिए पेड़ों को नहीं कटने देने की शपथ ली |

भोपाल में लोगों ने वीवीआईपी बंगलों के लिए पेड़ों को नहीं कटने देने की शपथ ली

भोपाल में लोगों ने वीवीआईपी बंगलों के लिए पेड़ों को नहीं कटने देने की शपथ ली

:   Modified Date:  June 15, 2024 / 05:56 PM IST, Published Date : June 15, 2024/5:56 pm IST

भोपाल, 15 जून (भाषा) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सैकड़ों लोगों ने 27,000 से अधिक पेड़ों को बचाने के लिए एकजुटता दिखाते हुए इन्हें बचाने की शपथ ली है।

लोगों को डर है कि शहर में अति विशिष्ट लोगों (वीवीआईपी) के बंगलों के लिए जगह बनाने के लिए इन पेड़ों को काट दिया जाएगा। लोग इन पेड़ों को बचाने के लिए ‘चिपको आंदोलन’ जैसा विरोध प्रदर्शन शुरू करने पर भी विचार कर रहे हैं।

हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को कहा कि ऐसी किसी भी योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

पिछले दस दिनों से नागरिक, छात्र और पर्यावरण कार्यकर्ता मध्य प्रदेश के गृह निर्माण मंडल द्वारा शहर के सबसे हरे-भरे इलाकों शिवाजी नगर और तुलसी नगर में पेड़ों को काटकर विधायकों और नौकरशाहों के लिए बंगले बनाने की योजना के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

महिलाओं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक सहित उनमें से कई लोगों ने शुक्रवार को पेड़ों की पूजा की और उन्हें बचाने की शपथ ली। मध्य प्रदेश आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने कहा कि पेड़ों को तत्काल कुछ नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि यह गृह निर्माण मंडल द्वारा शहरी विकास मंत्री के समक्ष प्रस्तुत की गई अवधारणा थी। अभी तक सरकार के समक्ष कोई अनुमोदन या अंतिम प्रस्ताव नहीं है। सरकार पेड़ों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। अभी पेड़ों को काटने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

अभियान का नेतृत्व करने वालों में शामिल पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. सुभाष सी. पांडे ने कहा कि वे अपने आंदोलन पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे।

उन्होंने कहा कि इस बीच, अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो हम चिपको आंदोलन जैसा व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।

उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में 1970 के दशक में शुरू किया गया चिपको आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसमें लोग पेड़ों के तने से चिपककर उन्हें लकड़हारों द्वारा काटे जाने से रोकते थे।

डॉ पांडे ने कहा कि ऐसे संकेत हैं कि (आवास) परियोजना के लिए 27,000 से अधिक पेड़ काटे जाने वाले हैं, जिनमें से सत्तर प्रतिशत विरासत के पेड़ हैं।

उन्होंने कहा कि उनके प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर मप्र गृह निर्माण मंडल के आयुक्त चंद्रमौली शुक्ला और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात की, लेकिन उन्हें बताया गया कि अगर ऐसी कोई परियोजना आती है तो क्षतिपूर्ति के तौर पर पौधे लगाए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि मेट्रो ट्रेन परियोजना, स्मार्ट सिटी और भोपाल में एक निजी कंपनी के विशाल परिसर के लिए पेड़ों की कटाई की भरपाई के लिए लगाए गए एक भी पौधे को बचाया नहीं जा सका है।

पांडे ने कहा कि वे पेड़ों को बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण का भी दरवाजा खटखटाएंगे।

दक्षिण-पश्चिम भोपाल के भाजपा विधायक भगवानदास सबनानी, जिन्होंने शुक्रवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में पेड़ों की पूजा की और सार्वजनिक रूप से अभियान का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि हरियाली और पेड़ों को काटने की कीमत पर विकास नहीं होना चाहिए।

भाषा

दिमो, रवि कांत रवि कांत

 

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