बीजिंग, आठ अप्रैल (एपी) चीन ने यूक्रेन में नागरिकों की हत्या की खबरों और तस्वीरों को परेशान करने वाला बताया है और इनकी जांच का आग्रह किया है, लेकिन चीन ने इसके लिए रूस को दोष देने से इनकार किया है, जिससे रूस को लेकर चीनी समर्थन के लचीलेपन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
यहां देखें कि संघर्ष के इस चरण में चीन कहां खड़ा है:
क्या चीन अत्याचारों की जांच को लेकर गंभीर है?
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बुधवार को अपने बयान में यूक्रेन के बुचा शहर में अत्याचारों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘सच्चाई और घटना के कारण की पुष्टि होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए और जांच पूरी होने से पहले ‘‘निराधार’’ आरोप लगाने से बचना चाहिए।
यह महत्वपूर्ण है कि झाओ ने रूसी सेना का उल्लेख नहीं किया और इस बात का कोई संकेत नहीं दिया कि सबूत कैसे और किसे एकत्र करने चाहिए। चीन का 2010 में दक्षिण कोरियाई नौसेना के जहाज के डूबने जैसी घटनाओं के बाद अपने मित्रों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान करने का पुराना इतिहास रहा है। चीन ने इस घटना को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ तो कहा, लेकिन इन सबूतों को स्वीकार करने से इनकार भी कर दिया कि इस घटना के लिए उत्तर कोरिया जिम्मेदार था।
चीन इराक पर आक्रमण और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की 1999 में बेलग्राद, यूगोस्लाविया में चीनी दूतावास पर बमबारी जैसी घटनाओं का हवाला देते हुए युद्ध अपराध का आरोप लगाने वालों पर और मुख्य रूप से अमेरिका पर नियमित रूप से पलटवार करता है। चीन ने कभी भी नाटो के इस दावे को स्वीकार नहीं किया कि हमला अनपेक्षित था।
रूस के आक्रमण पर चीन का रुख क्या है?
चीन ने जल्द ही इस रुख के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध किया कि रूस को अपने पड़ोसी पर हमला करने के लिए अमेरिका की शह पर नाटो के पूर्वी राष्ट्रों ने उकसाया था। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के कार्यों की निंदा करने वाले प्रस्ताप पर वोट में भाग नहीं लिया और मानक नीति के अनुसार, रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का कड़ा विरोध किया है।
हालांकि, चीन ने उन प्रतिबंधों को कम करने या रूस से पश्चिमी देशों की कंपनियों के जाने से खाली हुई जगह को भरने में जल्दबाजी का कोई संकेत नहीं दिखाया है। चीन ने हाल में अपने संदेशों को संघर्ष विराम और एक बड़ी मानवीय तबाही से बचने के लिए बातचीत के आह्वान पर केंद्रित किया है। चीन ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भी प्रदान की है।
रूस के लिए चीन के समर्थन का क्या कारण है?
पुतिन और चीन के नेता शी चिनफिंग के शासन में चीन और रूस तेजी से करीब आए हैं। चीन आमतौर पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान में रूस के नेतृत्व का अनुसरण करता है और उसने सीरिया में उसके सैन्य हस्तक्षेप की निंदा करने वाले प्रयासों को रोकने में मदद की है। दोनों आर्थिक रूप से भी घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं।
चीन रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है और प्राकृतिक गैस एवं तेल के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार बन गया है। युद्ध शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले शी और पुतिन बीजिंग में मिले और एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें उनके संबंधों को ‘‘सीमा से परे’’ बताया गया।
जोखिम और संभावित लाभ क्या हैं?
एक निष्पक्ष पर्यवेक्षक होने का दावा करके चीन ने रूस के खिलाफ कार्रवाई करने के दायित्वों से खुद को दूर रखा है। चीन ने भारत और ब्राजील सहित अन्य देशों द्वारा रूस की निंदा करने से इनकार करने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह अकेला नहीं खड़ा है।
वर्तमान में, उसके लिए जोखिम न्यूनतम हैं। चीन लंबे समय से अपने ऊपर मानवाधिकारों के हनन को बढ़ावा देने या उसे अंजाम देने के आरोप का आदी रहा है और अपने आर्थिक और राजनीतिक दबदबे का इस्तेमाल करते हुए उनकी अनदेखी करने या उन्हें टालने में माहिर हो गया है।
चीन जनता को अपनी तरफ कैसे रख रहा है?
बीजिंग की पूरी तरह से कम्युनिस्ट पार्टी-नियंत्रित मीडिया ने बुचा में नागरिकों की हत्याओं पर रिपोर्ट दी है, लेकिन उनके कवरेज में रूसी समर्थन की ओर मजबूत झुकाव रहा है।
एपी सुरभि सिम्मी
सिम्मी
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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