पोर्टलैंड (अमेरिका), 17 जून (एपी) समुद्र की गहराई में छिपे टाइटैनिक जहाज के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए पिछले वर्ष जून में पानी में उतरी एक प्रयोगात्मक पनडुब्बी ‘टाइटन’ घातक विस्फोट का शिकार हो गयी थी। हालांकि उस हादसे के बाद भी समुद्र के रहस्य खोजने वालों के हौसले बुलंद हैं लेकिन कई सवाल भी ज्यों के त्यों हैं।
उत्तर अटलांटिक समुद्र में समाये टाइटैनिक पोत का मलबा दिखाने के लिए जाते वक्त दुर्घटना का शिकार हुई टाइटन पनडुब्बी के हादसे को मंगलवार को एक वर्ष पूरा हो गया। टाइटन पनडुब्बी को ढूंढ निकालने के लिए पांच दिनों तक चले खोज अभियान ने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। अधिकारियों ने बताया कि पनडुब्बी नष्ट हो गयी और उसमें सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गयी थी।
हादसे के बाद कई सवाल उठे थे कि क्या टाइटन का अपरंपरागत डिजाइन या फिर पनडुब्बी के निर्माताओं द्वारा उद्योग मानकों की स्वतंत्र जांच कराये जाने से इनकार करना ही तो कहीं दुर्घटना की वजह नहीं थी।
अमेरिकी तटरक्षक बल ने हादसे के बाद तुरंत एक उच्च-स्तरीय जांच बुलाई लेकिन अधिकारियों ने बताया कि जांच में 12 महीने की समय सीमा से अधिक वक्त लग रहा है और उनके निष्कर्षों पर चर्चा करने के लिए सुनवाई कम से कम अगले दो महीनों तक नहीं होगी।
इस बीच गहरे समुद्र के रहस्यों को तलाशने का काम जारी है।
टाइटैनिक पोत के मलबे को बचाने का अधिकार रखने वाली जॉर्जिया की एक कंपनी जुलाई में रिमोट संचालित वाहनों का उपयोग कर, डूबे हुए समुद्री जहाज तक जाने की योजना बना रही है। वहीं ओहायो के एक रियल एस्टेट कारोबारी और अरबपति ने कहा कि वह 2026 में दो व्यक्तियों वाली पनडुब्बी में जहाज के मलबे तक जाने की योजना बना रहे हैं।
टाइटैनिक जहाज जब बना था तब इसे दुनिया का सबसे बड़ा यात्री जहाज कहा गया था। यह 10 अप्रैल 1912 को साउथम्पटन से न्यूयॉर्क के लिए अपनी यात्रा के लिए रवाना हुआ था। 15 अप्रैल 1912 की रात को, यह जहाज बर्फ के एक शिलाखंड (आइसबर्ग) से टकरा गया और डूब गया। इस हादसे में 1500 से अधिक लोग मारे गए थे।
एपी जितेंद्र मनीषा
मनीषा
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