संयुक्त राष्ट्र, 22 जून (एपी) अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने तालिबान और 22 देशों के दूतों के बीच आगामी पहली बैठक में अफगान महिलाओं को शामिल नहीं करने को लेकर अपना बचाव किया और कहा कि बैठक में निश्चित रूप से महिलाओं के अधिकारों की मांग उठाई जाएगी।
कतर की राजधानी दोहा में 30 जून और एक जुलाई को होने वाली बैठक में अफगान महिलाओं को शामिल नहीं किए जाने पर मानवाधिकार संगठनों की आलोचना की पृष्ठभूमि में संवाददाताओं ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत रोजा ओटुनबायेवा पर सवालों की बौछार कर दी, जिसके बाद उन्होंने बचाव में यह बात कही।
दो दशक के संघर्ष के बाद अफगानिस्तान से अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) सदस्यों की सेनाओं के लौटने के बाद 2021 में तालिबान ने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया। कोई भी देश आधिकारिक तौर पर तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता नहीं देता है और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जब तक महिला की शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध रहेगा, मान्यता देना लगभग असंभव है।
‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ की कार्यकारी निदेशक तिराना हसन ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों पर तालिबान के बढ़ते दमन के मद्देनजर, संयुक्त राष्ट्र बैठक आयोजित करने जा रहा है, लेकिन इसमें ‘‘महिलाओं के अधिकारों से जुड़े एजेंडे पर कोई चर्चा नहीं करना या बैठक में अफगान महिलाओं को शामिल नहीं करना’’ चौंकाने वाला है।
‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड ने कहा, ‘‘अगर इस बैठक में अफगानिस्तान में मानवाधिकार संकट को सही तरीके से नहीं उठाया जाता है और अफगान महिला मानवाधिकार समर्थकों तथा अन्य संबंधित हितधारकों को शामिल नहीं किया जाता है तो इस बैठक की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होना लाजमी है।’’
ओटुनबायेवा ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक प्रमुख रोजमेरी डिकार्लो इस बैठक की अध्यक्षता करेंगी। वह भी इसमें भाग लेंगी और अफगानिस्तान के लिए नियुक्त 22 विशेष दूतों में से कुछ महिलाएं भी इसमें शामिल होंगी।
एपी खारी सुरेश
सुरेश
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