यूक्रेन पर रूस के हमले का भारत पर क्या होगा असर? मात्र 5-प्वाइंट में जानें

Economic Fallout of Russia Attack on Ukraine: यूक्रेन (Ukraine) एशिया और यूरोप के बीच व्यापारिक यातायात का प्रमुख केंद्र (Trade Transit Point) है, मतलब इन दोनों क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादों का आयात-निर्यात (Export-Import) यूक्रेन के रास्ते से होता है। What will be the effect of Russia's attack on Ukraine on India? Learn in just 5-points

यूक्रेन पर रूस के हमले का भारत पर क्या होगा असर? मात्र 5-प्वाइंट में जानें

Economic Fallout of Russia Attack on Ukraine

Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: February 25, 2022 12:05 pm IST

नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस लगातार हमले (Russia Attack on Ukraine) कर रहा हैं। रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन के 70 से अधिक महत्त्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर दिया है, इससे दुनिया भर में तनाव बढ़ रहा है, क्योंकि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से जंग लड़ रही दुनिया इस दूसरी लड़ाई, जो बड़ी और गंभीर भी हो सकती है, को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि भारत सहित तमाम देश रूस को बातचीत के जरिए समझाने के लिए सक्रिय हुए हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस संबंध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से बात की है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian Foreign Minister S Jaishankar) भी पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी जैसे रूस के नजदीकी देशों के अपने समकक्षों से बातचीत करने वाले हैं, हालांकि इन प्रयासों का क्या नतीजा निकलेगा, वह तो बाद में सामने आएगा लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) के कुछ नतीजे तुरंत सामने आने लगे हैं। अगर जंग लंबी चली तो कई और गंभीर आर्थिक परिणाम दुनिया को भुगतने पड़ेंगे।

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भारत (India) पर भी इसका समान असर होना स्वा​भाविक है, आइये यहां इसी को 5-प्वाइंट (5-Points Expliner) में हम जानते हैं।

1. आयात-निर्यात के रास्ते ठप

यूक्रेन (Ukraine) एशिया और यूरोप के बीच व्यापारिक यातायात का प्रमुख केंद्र (Trade Transit Point) है। मतलब इन दोनों क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादों का आयात-निर्यात (Export-Import) यूक्रेन के रास्ते से होता है, यही नहीं रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) खुद भी कई प्रमुख उत्पादों की आपूर्ति यूरोप और एशिया को करते हैं तात्कालिक रूप से रूस और यूक्रेन से या फिर वहां के रास्तों से होने वाला आयात-निर्यात ठप हो गया है, इसका असर सीधे तौर पर उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain of Commodities) पर पड़ा है।

2. रूस और यूक्रेन से खाद्यान्न निर्यात प्रभावित

एक रिपोर्ट के मुताबिग दुनियाभर में निर्यात किए जाने वाले गेहूं का करीब 29% हिस्सा रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) से आता है। लगभग यही स्थिति मक्के की है, बल्कि चीन (China) जैसे रूस के प्रमुख सहयोगी को तो 2021 में सबसे अधिक मक्के का निर्यात यूक्रेन से ही हुआ था, इतना ही नहीं, यूरोप के तमाम देश गेहूं, जौ और राई की आपूर्ति के लिए यूक्रेन पर निर्भर हैं। क्योंकि वह इन तीनों खाद्यान्नों का प्रमुख उत्पादक है। अपनी इस स्थिति के कारण यूक्रेन को ‘यूरोप की ब्रेडबास्केट’ (Breadbasket of Europe) तक कहा जाता है।

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3. तेल, गैस, धातुओं और कच्चे माल की आपूर्ति में बाधा

यूरोस्टैट (Eurostat) के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में यूरोपीय संघ (EU) के देशों ने प्राकृतिक गैस का जितना भी आयात किया, उसका 43.9% रूस से आया। जबकि 2021 की पहली छमाही की रूस की हिस्सेदारी बढ़कर 46.8% तक हो चुकी थी, इसी तरह ईयू के देशों ने 2020 में पेट्रोलियम उत्पादों का जितना आयात किया, उसमें रूस की हिस्सेदारी 25.5% रही. और 2021 में पहली छमाही में यह हिस्सेदारी 24.7% तक हो चुकी थी। यही नहीं, चीन को भी रूस (Russia) अगले 30 साल में लगभग 1 लाख घनमीटर प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने वाला है। रूस (Russia) तांबे, प्लेटिनम, निकल जैसी धातुओं का भी प्रमुख उत्पादक है। तांबे के वैश्विक भंडार का तो लगभग 10% हिस्सा रूस के पास है, इसके अलावा, रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) कई उत्पादों के लिए कच्चे माल (Raw Material) के प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी हैं। जैसे निकल (Nickel), इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के लिए प्रमुख कच्चा माल है। जबकि तांबा (Copper) इलेक्ट्रिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में बहुतायत इस्तेमाल होता है। यूक्रेन से नियोन (Neon) की आपूर्ति पर अमेरिका का माइक्रोचिप उद्योग (MicroChip Industry) सबसे अधिक निर्भर है।

4. मुद्रा का अवमूल्यन, असर वैश्विक निर्यात पर

आर्थिक क्षेत्र की वैश्विक सलाहकार संस्था के अनुसार ‘रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े संघर्ष (Russia-Ukraine War) से इन दोनों ही देशों की मुद्राओं में अवमूल्यन शुरू हो गया है, इसका अर्थ यह हुआ कि वहां से जिन उत्पादों का भी जहां, जितना निर्यात संभव हो सकेगा, ऊंचे दामों पर होगा। यह स्थिति सिर्फ इसी दौर नहीं रहेगी, बल्कि लंबे समय तक रहने वाली है क्योंकि युद्ध के असर व्यापक होते हैं।’

5. नतीजा महंगाई और सख्त मौद्रिक नीतियां

जानकारों की मानें तो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बनीं इन स्थितियों के कारण पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ना तय है। इसकी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सहित दुनिया के तमाम केंद्रीय बैंकों को अपनी मौद्रिक नीतियां (Monetary Policy) सख्त करनी पड़ सकती हैं, मतलब आप उपभोक्ता पर दोहरी मार पड़ने वाली है। एक तो महंगाई की वजह से और दूसरी ऊंची ब्याज दरों के कारण, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पाद (Petroleum Product), खाद्यान्न, उर्वरक आदि की कीमतें बढ़ने का सिलसिला तो कई जगहों पर शुरू भी हो चुका है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com