मुंबई, 21 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने वित्तीय नियामकों के कुछ प्रस्तावों की वजह से उद्योग जगत में असहजता पैदा होने और फैसलों को पलटे जाने की घटनाओं का शुक्रवार को जिक्र करते हुए उनसे ‘आत्मनिरीक्षण’ करने का आह्वान किया।
वर्ष 2014 से 2017 तक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रह चुके मूंदड़ा ने रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी दोनों से जुड़ी हाल की कुछ घटनाओं का हवाला दिया।
मूंदड़ा ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा, ‘कुछ ऐसा है जिसके लिए नियामकों को भी आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।’
उन्होंने बताया कि उद्योग जगत में विवाद होने पर रिजर्व बैंक को बैंकों के लिए वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) निवेश से संबंधित नियम वापस लेने पड़े हैं और वह परियोजना वित्त के लिए उच्च प्रावधान के अपने प्रस्तावों पर उद्योग द्वारा उठाई गई चिंताओं से भी जूझ रहा है।
मूंदड़ा ने पूंजी बाजार नियामक सेबी के मामले में कहा कि उसके लगभग 90 प्रतिशत आदेशों को अपीलीय अधिकारी खारिज कर देते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय को भी बीते दो वर्षों में नियामकों से उनके कार्यों की समीक्षा करने के लिए कहकर हस्तक्षेप करना पड़ा है।
हालांकि कुछ कंपनियों में निदेशक के रूप में जुड़े मूंदड़ा ने यह माना कि उद्योग जगत को नियामक अपेक्षाओं सहित विभिन्न पहलुओं पर आत्मनिरीक्षण करना होगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य में किसी बड़ी मुसीबत से बचने के लिए उद्योग को आंकड़ों की गोपनीयता, जोखिम एकाग्रता और मूल्य निर्धारण, सूचना और साइबर सुरक्षा, संदिग्ध लेनदेन, केवाईसी, प्रणाली में परस्पर जुड़ाव को सुनिश्चित करने के बारे में संवेदनशील होने की जरूरत है।
मूंदड़ा ने कहा कि कंपनियों को डिजिटल परिवर्तन, विभिन्न क्षेत्रों में सुधार, बुनियादी ढांचे पर आधारित विकास, व्यावसायिक कौशल, स्थिरता, नवाचार एवं शोध और समावेशी विकास पर भी ध्यान देना होगा।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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