नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने मंगलवार को कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश पर अड़चनों को हटाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि न तो सरकारों के पास और नहीं बहुपक्षीय संस्थानों के पास धन का खजाना है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की अगले सप्ताह शुरू हो रही सालाना बैठक से पहले डब्ल्यूईएफ के संस्थापक और कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वाब के साथ बातचीत (पोडकास्ट) में बंगा ने कहा कि दुनिया के समक्ष तात्कालिक चुनौतियां गाजा और यूक्रेन में संघर्ष है। साथ ही कई उभरते बाजारों में कर्ज की स्थिति भी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
मास्टरकार्ड के पूर्व प्रमुख ने कहा कि दीर्घकाल में प्रमुख चुनौतियां गरीबी और असमानता के साथ-साथ पर्यावरण को लेकर भी है।
विश्व आर्थिक मंच के न्यासी बोर्ड के सदस्य की भी भूमिका निभा रहे बंगा 15 जनवरी से शुरू होने वाले पांच दिवसीय डब्ल्यूईएफ दावोस शिखर सम्मेलन में प्रमुख वैश्विक नेताओं में से एक होंगे।
यह पूछे जाने पर कि असमानता और गरीबी की समस्याओं का समाधान क्या हो सकता है, उन्होंने कहा, ‘‘…समस्याओं का हल करने का सबसे अच्छा तरीका चीजों तक बेहतर पहुंच के साथ नौकरी भी है। क्योंकि नौकरियों से न केवल निश्चित आय होती है बल्कि सम्मान के साथ गरीबी के चक्र से बाहर निकलने का मौका भी मिलता है।’’
बंगा ने कहा, ‘‘और मुझे लगता है कि सम्मान न केवल आर्थिक वृद्धि बल्कि मानव विकास का भी कारण है। ऐसे में हमें इसपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी बदलाव लाने में सहायक रही है।
बंगा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यदि आप अतीत में जाएं तो पाते हैं कि आप कुछ अलग सीखना चाहते थे, तो आपको एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका खरीदनी पड़ती थी। वह महंगी थी। और फिर गूगल आता है और सब कुछ अचानक से सबकी पहुंच में आ जाता है और चीजें सभी के लिए उपलब्ध होती हैं।’’
उन्होंने कहा कि अगर सही तरीके से काम किया जाए तो प्रौद्योगिकी और अब डेटा (इंटरनेट) और एआई (कृत्रिम मेधा) सत्ता की जंजीर को तोड़ने में बहुत मददगार हैं।
निजी क्षेत्र की भूमिका का जिक्र करते हुए बंगा ने कहा कि दुनिया के समक्ष जो समस्याएं हैं, उसका हल निजी क्षेत्र के बिना नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप दुनिया में केवल नवीकरणीय ऊर्जा के अनुमान को देखें, तो उसे पूरा करने के लिए हर साल अरबों डॉलर की जरूरत है। यह भविष्य में कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है।’’
विश्व बैंक प्रमुख ने कहा, ‘‘अब, सरकारी खजाने में अरबों डॉलर नहीं हैं। विश्व बैंक और मुद्राकोष जैसे बहुपक्षीय बैंकिंग खजाने में भी अरबों डॉलर नहीं हैं।’’
यह काम तभी हो सकता है जब निजी क्षेत्र की पूंजी, प्रौद्योगिकी उत्पन्न करने में निजी क्षेत्र के नवोन्मेष आदि का साथ हो। लेकिन निजी क्षेत्र की पूंजी के लिए जरूरी है कि उसपर उन्हें अच्छा रिटर्न मिले और इसके लिए जरूरी है कि कारोबार का अच्छा मॉडल हो।
बंगा ने निजी क्षेत्र के निवेश में बाधाओं के बारे कहा कि इसके कई कारण हैं। नियामकीय मोर्चे पर निश्चितता से लेकर किसी विशेष देश की नीतियों को लेकर निश्चितता तक।
उन्होंने कहा कि विश्व बैंक उन देशों को नियामकीय और नीतिगत स्तर पर निश्चितता बनाने में मदद करने में मदद कर सकता है।
भाषा
रमण अजय
अजय
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