नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं को व्यवहारिक बनाने के लिए 7,453 करोड़ रुपये की वित्तपोषण योजना (वीजीएफ) को मंजूरी दी।
इस योजना के तहत गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 500-500 मेगावाट (कुल एक गीगावाट) की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना और क्रियान्वयन के लिए 6,853 करोड़ रुपये का परिव्यय तथा इनकी लॉजिस्टिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दो बंदरगाहों के उन्नयन के लिए 600 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि वीजीएफ योजना 2015 में अधिसूचित राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में मौजूद विशाल अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करना है।
उन्होंने कहा कि सरकार से मिलने वाले वीजीएफ समर्थन से अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं से आने वाली बिजली की लागत कम हो जाएगी और उन्हें बिजली वितरण कंपनियों द्वारा खरीद के लिए व्यावहारिक बनाया जा सकेगा।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक गीगावाट की अपतटीय पवन परियोजनाओं के सफल संचालन से प्रतिवर्ष लगभग 3.72 अरब यूनिट नवीकरणीय बिजली का उत्पादन होगा। इससे 25 साल तक प्रतिवर्ष 29.8 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन में कमी आएगी।
बयान में कहा गया कि यह योजना न केवल भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा विकास को तेज करेगी बल्कि देश में समुद्र-आधारित आर्थिक गतिविधियों के पूरक के रूप में आवश्यक पारिस्थितिकी के निर्माण को भी बढ़ावा देगी।
यह पारिस्थितिकी तंत्र शुरुआती दौर में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 37 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास का समर्थन करेगा।
ये पवन ऊर्जा परियोजनाएं पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से चयनित निजी कंपनियों द्वारा स्थापित की जाएंगी। हालांकि अपतटीय सबस्टेशनों सहित बिजली अवसंरचना का निर्माण पावर ग्रिड कॉरपोरेशन करेगी।
भाषा अनुराग प्रेम
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