जूट उद्योग की सहायता के लिए नीतिगत कदम उठाए सरकार: उद्योग संगठन |

जूट उद्योग की सहायता के लिए नीतिगत कदम उठाए सरकार: उद्योग संगठन

जूट उद्योग की सहायता के लिए नीतिगत कदम उठाए सरकार: उद्योग संगठन

:   Modified Date:  June 19, 2024 / 10:32 PM IST, Published Date : June 19, 2024/10:32 pm IST

कोलकाता, 19 जून (भाषा) उद्योग संगठन भारतीय जूट मिल संघ (आईजेएमए) ने जूट बैग की घटती मांग और श्रमिकों तथा किसानों पर इसके प्रतिकूल प्रभाव सहित विभिन्न अन्य चुनौतियों से निपटने में इस ‘संघर्षरत’ क्षेत्र की मदद के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उद्योग संगठन ने इस संबंध में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा है।

मंगलवार को भेजे गए पत्र में, आईजेएमए ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों के लिए पैकेजिंग सामग्री उपलब्ध कराने में जूट उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर का जिक्र किया।

आईजेएमए के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘खरीफ और रबी मौसम के दौरान जूट की बोरियों की 100 प्रतिशत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्योग की तत्परता के बावजूद, 2021-22 में सालाना 38-39 लाख गांठ की होने वाली मांग में भारी गिरावट आई है तथा वित्त वर्ष 2024-25 में यह मांग 30 लाख गांठ रहने की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा कि मांग में गिरावट के कारण क्षमता का पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रहा है, जिससे मिलों को पालियों में कटौती करने और परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर नौकरियां चली गई हैं।

कजारिया ने कहा कि इसका असर जूट किसानों पर भी पड़ा है, जो अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

मंत्री को भेजे पत्र में चेयरमैन राघवेंद्र गुप्ता ने कहा, ‘‘मांग को बढ़ावा देने के लिए, आईजेएमए ने सिफारिश की है कि सभी आयातित गेहूं, चाहे वह सरकारी सौदों के माध्यम से हो या निजी व्यापार के माध्यम से, जेपीएम अधिनियम, 1987 के अनिवार्य प्रावधानों के अनुसार जूट की बोरियों में पैक किया जाना चाहिए।’’

इसने धान की पैकेजिंग के लिए सेकेंड हैंड बैग के बजाय नए जूट बैग के इस्तेमाल की ओर लौटने का भी सुझाव दिया है।

जूट क्षेत्र संगठित मिलें लगभग 3.5 लाख श्रमिकों को रोजगार देता है और लगभग 40 लाख किसान नकदी फसल से जुड़े हुए हैं। भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)