नई दिल्ली : India ban export of broken rice : भारत ने बीते सप्ताह चावल निर्यात पर बैन लगाने का ऐलान किया था। इस बैन का असर अब पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। इस बैन का सबसे बड़ा असर एशियाई बाजार में देखने को मिल रहा है। भारत के बैन लगाने के बाद से बाजार में चावल की कीमतों तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। भारत के इस फैसले के 4 दिनों के अंदर ही एशिया के बाजारों में चावल के दाम 4 से 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
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India ban export of broken rice : इससे एशिया में चावल का व्यापार लगभग ठप पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं। इसलिए खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं। लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने मौके को भुनाने के कारण दाम बढ़ा दिए हैं। दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था।
India ban export of broken rice : इसके साथ ही भारत ने कई अन्य प्रकार के चावलों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत तक लगा दिया गया। औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है। इस साल कई इलाकों में बारिश कम हुई है। इससे धान की रोपाई कम हुई है और बीते सालों के मुकाबले देरी से भी हुई है। ऐसे में घरेलू बाजार में चावल की कीमतों के संकट को टालने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है। भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है और उसकी तरफ से निर्यात में आने वाली जरा सी भी कमी उन देशों में कीमतों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
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India ban export of broken rice : भारत के फैसले के बाद से एशिया में चावल के दाम पांच प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। जानकारों का कहना है कि अभी कीमतों में और ज्यादा वृद्धि होगी। भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के निदेशक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं, ‘पूरे एशिया में चावल का व्यापार ठप पड़ गया है। व्यापारी जल्दबाजी में कोई वादा नहीं करना चाहते। पूरी दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है। इसलिए कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि आने वाले समय में दाम कितने बढ़ेंगे।’ चावल दुनिया के तीन अरब लोगों का मुख्य भोजन है। 2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।
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India ban export of broken rice : भारत सरकार के फैसले के बाद देश के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों में चावल की लदाई का काम बंद हो गया है और करीब दस लाख टन चावल वहां पड़ा हुआ है। खरीददार सरकार द्वारा लगाए गए नए 20 प्रतिशत कर को देने से इनकार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस चावल के दाम पर समझौते बहुत पहले हो चुके हैं और सरकार ने जो नया कर लगाया है वह पहले से तय नहीं था। अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है। वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है।
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India ban export of broken rice : भारत की ओर से चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फायदा भारत के प्रतिद्वन्द्वी देश थाईलैंड, वियतनाम और म्यांमार के व्यापारी उठा रहे हैं। चावल की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए खरीददार इन देशों की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने टूटे चावल के दाम पांच फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। डीलरों का कहना है कि पिछले चार दिन में, यानी भारत के निर्यात पर रोक के फैसले के बाद से कीमतों में 20 डॉलर यानी लगभग डेढ़ हजार रुपये प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है।