राजकोट अग्निकांड की जांच से नाखुश उच्च न्यायालय ने ‘तथ्यान्वेषी जांच' का आदेश दिया |

राजकोट अग्निकांड की जांच से नाखुश उच्च न्यायालय ने ‘तथ्यान्वेषी जांच’ का आदेश दिया

राजकोट अग्निकांड की जांच से नाखुश उच्च न्यायालय ने ‘तथ्यान्वेषी जांच' का आदेश दिया

:   Modified Date:  June 13, 2024 / 11:22 PM IST, Published Date : June 13, 2024/11:22 pm IST

अहदाबाद, 13 जून (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने राजकोट ‘गेम जोन’ अग्निकांड की जांच पर नाराजगी व्यक्त की और यह पता लगाने के लिए ‘तथ्यान्वेषी जांच’ का आदेश दिया कि अवैध ढांचा कैसे बना और अधिकारियों की क्या भूमिका थी।

पिछले महीने हुए 25 मई को हुए इस गेम ज़ोन में भीषण आग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई थी।

टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में कई वरिष्ठ अधिकारियों के शामिल होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि तथ्यान्वेषी समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए विभागीय जांच का आदेश दिया जाएगा।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो उसने घटना का स्वत: संज्ञान लेकर 26 मई को दाखिल की है।

मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार को शहरी विकास और शहरी आवास विभाग के प्रधान सचिव के नेतृत्व में सोमवार तक एक तथ्यान्वेषी समिति गठित करने को कहा। उन्होंने राज्य सरकार को चार जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने को कहा।

इसके साथ ही पीठ ने राज्य शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को राज्य में ‘प्री-स्कूलों’ सहित सभी श्रेणियों के स्कूलों में अग्नि सुरक्षा निरीक्षण करने के लिए टीम गठित करने और एक महीने में यह कार्य पूरा करने को कहा।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अमित पंचाल ने पीठ को सूचित किया कि राजकोट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, राजकोट के नगर आयुक्त और जिला विकास अधिकारी टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे।

उनकी अग्नि सुरक्षा को लेकर दायर दीवानी याचिका को इस जनहित याचिका के साथ जोड़ दिया गया है।

हालांकि महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच दल गठित कर दिया है और उसकी जांच की दिशा पीठ की अपेक्षा के अनुरूप ही है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार केवल निचले स्तर के अधिकारियों को पकड़ रही है और ‘बड़ी मछलियों’ को छोड़ रही है।

मोरबी पुल टूटने और हरनी झील में नौका पलटने की घटनाओं का जिक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने शहरी स्थानीय निकायों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हम तथ्यान्वेषी जांच चाहते हैं। हम दोषी अधिकारियों की भूमिका जानना चाहते हैं। रिपोर्ट में हर अधिकारी का नाम होना चाहिए। विभागीय जांच करके जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इससे कम कुछ नहीं।’

भाषा नोमान संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)