दुनिया में धीरे-धीरे पैर पसार रहा जानलेवा फंगस, फिलहाल अमर है कैंडिडा ऑरिस | This fungus is spreading slowly in the world Currently Amar is the Candida Auris

दुनिया में धीरे-धीरे पैर पसार रहा जानलेवा फंगस, फिलहाल अमर है कैंडिडा ऑरिस

दुनिया में धीरे-धीरे पैर पसार रहा जानलेवा फंगस, फिलहाल अमर है कैंडिडा ऑरिस

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : April 9, 2019/10:42 am IST

नई दिल्ली । पूरी दुनिया में एक नया फंगस लगातार घातक बनता जा रहा है। इस पर दवाइयां भी बेअसर हैं जिस वजह से यह जानलेवा है। इस फंगस में सबसे खतरनाक चीज यह है कि मरीज की मौत के बाद भी यह फंगस नहीं मरता। कैंडिडा ऑरिस नाम का यह फंगस मृत व्यक्ति के आसपास की हर चीज पर मौजूद रहता है। कैंडिडा ऑरिस वायरस से भारत पिछले 8 साल से जूझ रहा है। कैंडिडा ऑरिस के केस भारत में साल 2011 से सामने आ रहे हैं।

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फिलहाल अमर है ये फंगस

कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित ज्यादातर मरीजों पर आमतौर पर इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐंटीफंगल्स मेडीसन का कोई असर नहीं हुआ। इन दवाइयों को मरीजों को तब दिया जाता है जब उन पर ऐंटीबैक्टीरिया दवाइयां असर नहीं करती हैं। कैंडिडा ऑरिस एक ऐसा फंगस है जो गंभीर रुप से बीमार मरीजों और अस्पताल के वातावरण में मौजूद रहता है और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों पर अटैक कर उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेता है।

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4 हफ्ते के अंदर मरीज की मौत
तकरीबन 8 साल पहले वर्ष 2011 में भारत में 27 मेडिकल और सर्जिकल आईसीयू में इस फंगस को लेकर मल्टी-सेन्ट्रिक ऑब्जर्वेशनल स्टडी की गई थी। चंडीगढ़ का द पोस्टग्रैजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च इसका कॉर्डिनेटिंग सेंटर था। स्टडी की रिपोर्ट साल 2014 में प्रकाशित की गई थी। रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि अप्रैल 2011 से सितंबर 2012 के बीच भर्ती मरीजों में से 6.51 प्रतिशत कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित थे। इसके इन्फेक्शन को सिर्फ 27.5% मामलों में ही ठीक किया जा सका जबकि 45% मरीजों को बचाया नहीं जा सका। उनकी मौत 30 दिनों के अंदर हो गई।

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द इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने साल 2017 में सभी अस्पतालों को मशविरा दिया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कैंडिडा ऑरिस नाम के वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा 33 से 72 प्रतिशत है। अस्पतालों को सुझाव दिया गया कि जो मरीज इस फंगस के पॉजिटिव पाए जाते हैं उन्हें अलग कमरों में या फिर इससे पीड़ित अन्य मरीजों के साथ अलग रखा जाए। इस फंगस का अब पूरी दुनिया में प्रभाव देखा जा रहा है। डॉक्टरों का मानना है कि प्रकृतिक रुप से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना ही इसका कारगर उपाय हो सकता है। ज्यादा ऐंटीबायॉटिक्स और ऐंटीफंगल से इस फंगस को बढ़ने से रोका नहीं जा सकता ।