लोकवाणी: बच्चों ने कोरोनाकाल में पसंद की ऑनलाइन और पारे-मोहल्ले में पढ़ाई की व्यवस्था | Children liked to study online in Corona period and in Pare-mohalla

लोकवाणी: बच्चों ने कोरोनाकाल में पसंद की ऑनलाइन और पारे-मोहल्ले में पढ़ाई की व्यवस्था

लोकवाणी: बच्चों ने कोरोनाकाल में पसंद की ऑनलाइन और पारे-मोहल्ले में पढ़ाई की व्यवस्था

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : November 8, 2020/8:19 am IST

रायपुर। लोकवाणी के लिए रिकार्ड कराए अपने संदेशों में सूरजपुर जिले की आकांक्षा, जिला रायगढ़ की ज्योति पटेल सहित दर्जनों बच्चों ने ऑनलाइन तथा पारे-मोहल्ले में पढ़ाई की व्यवस्था को बहुत पसंद किया है। बिलासपुर जिले के गतौरा की प्रियता यादव ने कहा कि इस संकट की परिस्थिति में हम सभी विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन शिक्षा ही उचित है। कोरबा की उर्मी सूर्यवंशी ने पूछा कि निःशुल्क शिक्षा के अधिकार के तहत वे अभी तक निःशुल्क पढ़ रही हूं। 9वीं कक्षा से उन्हें निःशुल्क शिक्षा प्राप्त होगी कि नहीं। दंतेवाड़ा गीदम की भूमिका सोनी ने कहा कि अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया ऑनलाइन-ऑफलाइन, ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ ज्ञान गंगा सर्वर के माध्यम से सुचारू रुप से चल रही है। राजनांदगांव की जयश्री ठाकुर ने उनके स्कूल से अंकसूची एवं टीसी दिलवाने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया।

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छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां 12वीं तक की पढ़ाई निःशुल्क है

मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव की बिटिया जयश्री ठाकुर से कहा कि उन्होंने राजनांदगांव कलेक्टर को निर्देश दिया कि आपकी समस्या का हल होना चाहिए। अब तो आपको पता चल ही गया होगा कि आपका प्रवेश शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या शाला में करा दिया गया है। हम इस बात का ध्यान रखेंगे कि आपकी पढ़ाई पूरी हो और आप जहां तक पढ़ना चाहें, पढ़ें। इसी तरह की चिन्ता कोरबा जिले की उर्मी चन्द्रवंशी ने जताई है। उर्मी बिटिया, मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमने छत्तीसगढ़ में यह व्यवस्था कर दी है कि शिक्षा के अधिकार के तहत कोई भी बच्चा बारहवीं कक्षा तक निःशुल्क पढ़ाई कर सकता है। पूरे देश में सिर्फ आठवीं कक्षा तक निःशुल्क पढ़ाई की सुविधा दी गई है। छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य बना है, जहां नवमीं से बारहवीं तक पढ़ाई भी निःशुल्क होगी। उर्मी बिटिया, हमने आपको आपकी पढ़ाई पूरी करने की सुविधा अधिकार के रूप में दी है। यदि कहीं कोई बाधा आए तो आप जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर या सीधे मुझे भी बता सकती हो। हमने प्रशासन को सचेत और संवेदनशील किया है कि बच्चों की अच्छी शिक्षा और पूरी शिक्षा के अधिकार का पालन हो।

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विगत दो वर्षों में हमारे इस नए प्रावधान के तहत 10 हजार 347 बच्चे ग्यारहवीं, बारहवीं में पढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि साजा बेमेतरा के महेश बेटे ने छत्तीसगढ़ी बोली में पढ़ाई कराने के बारे में विचार रखा है। मुझे खुशी है कि हमारी नई पीढ़ी अपनी स्थानीय बोली-भाषा और संस्कृति के प्रति काफी जागरूक हो रही है। मैं बताना चाहता हूं कि इस साल हमने छत्तीसगढ़ी सहित 20 बोली-भाषाओं में किताबें प्रकाशित कराई हैं ताकि जो बच्चे अपनी स्थानीय बोली-भाषा में शिक्षा शुरू करना चाहते हैं, उन्हें यह सुविधा मिल सके।

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इसके अलावा हमने उड़िया और बंगाली में भी किताबें छपवाई हैं ताकि जिन बसाहटों में उड़िया और बंगाली बच्चे हैं उन्हें अपनी बोली-भाषा में पढ़ाई की सुविधा मिल सके। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जिस तरह एकता और समरसता की बात की थी, वह छत्तीसगढ़ की शिक्षा प्रणाली में शामिल की गई। दूसरी तरफ अंग्रेजी भाषा में कमजोरी को लेकर काफी समय से चिन्ता व्यक्त की जाती रही है, लेकिन सार्थक समाधान नहीं किया गया। मुझे खुशी है कि हमने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के अंतर्गत 53 शालाओं का चयन किया है। इन सरकारी शालाओं को सर्वसुविधायुक्त बनाया गया है, जहां पढ़ाई, खेलकूद, कम्प्यूटर, लैब आदि की गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं होंगी। जो हमारे बच्चों का आत्मविश्वास मजबूत बनाएंगे।

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स्कूल खोलने का निर्णय कोरोना की स्थिति को देखकर ही लिया जाएगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा की भूमिका बिटिया ने बताया कि पढ़ाई तुंहर दुआर, पढ़ाई तुंहर पारा योजनाओं का लाभ आदिवासी अंचलों में भी पहुंचा है। जहां तक स्कूल खुलने और खेलकूद आदि आयोजनों का सवाल है, तो बेटा, कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए फिजिकल डिस्टेंसिंग जरूरी है। कक्षाओं में या खेल के मैदान में जब बच्चे मिलकर खेलते हैं तो सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित कर पाना मुश्किल होता है। इसलिए जब तक कोरोना पर अंकुश नहीं लगता तब तक सावधानी जरूरी है और स्कूल खोलने का निर्णय कोरोना की स्थिति को देखकर ही लिया जाएगा।