मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन, उनकी लिखी पंक्तियां- 'दो गज सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है.. ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया' | Famous poet Rahat Indauri dies, his written lines - 'Two yards right but this is my property .. O death you land me'

मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन, उनकी लिखी पंक्तियां- ‘दो गज सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है.. ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया’

मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन, उनकी लिखी पंक्तियां- 'दो गज सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है.. ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : August 11, 2020/1:14 pm IST

इंदौर। मशहूर शायर राहत इंदौरी का हृदयाघात से निधन हो गया है,अब वे हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनके शेर और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे। राहत इंदौरी के शायरी की शैली बहुत ही खास थी जिनकी वजह से उन्होने देशवासियों और साहित्य प्रेमियों के दिलों में एक विशेष जगह बनायी थी।

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कोरोना संक्रमण के बाद अरबिदो हॉस्पिटल में उन्हे एडमिट किया गया था, 2 दिन से अरबिंदो हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। हालाकि राहत इंदौरी की मौत हृदयघात से हुई है लेकिन उन्हे कोरोना पॉजिटिव भी पाया गया था जिसका इलाज चल रहा था। उनकी मौत की खबर के बाद देश में शोक की लहर फैल गई है, लोग सोशल मीडिया में अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं।

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1 जनवरी 1950, रविवार को रिफअत उल्लाह साहब के घर राहत इंदौरी का जन्म हुआ था, इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक, ये 1369 हिजरी थी और तारीख 12 रबी उल अव्वल थी। राहत साहब के वालिद रिफअत उल्लाह 1942 में सोनकछ देवास जिले से इंदौर आए थे। राहत साहब का बचपन का नाम कामिल था। बाद में इनका नाम बदलकर राहत उल्लाह कर दिया गया।

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राहत साहब का बचपन मुफलिसी में गुजरा। वालिद ने इंदौर आने के बाद ऑटो चलाया। मिल में काम किया। लेकिन उन दिनों आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था। 1939 से 1945 तक दूसरे विश्वयुद्ध का भारत पर भी असर पड़ा। मिलें बंद हो गईं या वहां छंटनी करनी पड़ी। राहत साहब के वालिद की नौकरी भी चली गई। हालात इतने खराब हो गए कि राहत साहब के परिवार को बेघर होना पड़ गया था।

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उनकी शिक्षा की बात करें तो राहत ने बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू में एमए किया था। भोज यूनिवर्सिटी ने उन्हें उर्दू साहित्य में पीएचडी से नवाजा था। राहत ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर, करीब, बेगम जान, घातक, इश्क, जानम, सर, आशियां और मैं तेरा आशिक जैसी फिल्मों में गीत लिखे थे।

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राहत साहब के ये शेर आज बिलकुल सही बैठ रहे हैं।
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया।
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया।
अफवाह थी कि मेरी तबीयत खराब है।
लोगों ने पूछ-पूछकर बीमार कर दिया।
दो गज सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है।
ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया।
बनके एक हादसा बाजार में आ जाएगा।
जो नहीं होगा वह अखबार में आ जाएगा…।