जिसकी याद में बना ताजमहल उसकी असली कब्र पड़ी है वीरान, ऐतिहासिक धरोहर तक नहीं है पहुंच मार्ग | No access to historical heritage

जिसकी याद में बना ताजमहल उसकी असली कब्र पड़ी है वीरान, ऐतिहासिक धरोहर तक नहीं है पहुंच मार्ग

जिसकी याद में बना ताजमहल उसकी असली कब्र पड़ी है वीरान, ऐतिहासिक धरोहर तक नहीं है पहुंच मार्ग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : June 16, 2019/4:27 pm IST

बुरहानपुर। दुनिया के सात अजूबों में एक आगरा के ताजमहल की यादें बुरहानपुर से भी जुड़ी हुई हैं। जिस मुमताज की याद में ताजमहल बना है उसे बुरहानपुर की मिट्टी में दफनाया गया था । 17 जून सोमवार को मुमताज की 388 वीं बरसी है । वही मुमताज की यादे संजोए बुरहानपुर को देखने के लिए देश-दुनिया से हजारों पर्यटक यहा आते हैं, हालांकि पहुंच विहीन रास्तों के अभाव में धरोहर तक नहीं पहुंच पाते हैं।

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बता दें कि आहूखाना जहां मुमताज की कब्र है वह जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। इन सब परेशानियों के बाद भी इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है । हम आपको एक बार फिर बता दें की बुरहानपुर में ही शाहजहां की बेगम मुमताज की असली कब्र है। बुरहानपुर में ही 17 जून 1631 को चौदहवीं संतान को जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हो गई थी।

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असल में मुमताज की कब्र बुरहानपुर में ताप्ती नदी के पूर्व में आज भी स्थित है। किवदंतियों के मुताबिक बादशाह जब तक बुरहानपुर में रहे नदी में उतरकर बेगम की कब्र पर हर जुमेरात को वहां जाते थे और मुमताज की कब्रग्राह पर बनी चारदीवारी में दिए जलाते थे । कब्रगाह पर 40 दिनों तक दीए जलाए गए थे कब्र के पास एक इबादतगाह आज भी मौजूद है।

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