सिगरेट पर 'सुलगी' सियासत ! आपातकाल, बयान और बवाल | Politics on cigarettes! Emergency, statement and ruckus

सिगरेट पर ‘सुलगी’ सियासत ! आपातकाल, बयान और बवाल

सिगरेट पर 'सुलगी' सियासत ! आपातकाल, बयान और बवाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : March 3, 2021/6:06 pm IST

भोपाल। कहते हैं आपके न होने पर आपको कामों के जरिए ही याद रखा जाता है। इसके जरिए ही आपके फैसलों को सही या गलत भी ठहराया जाता है। भारतीय राजनीति के लिहाज से नेहरु युग 55 साल और इंदिरा युग 36 साल पहले खत्म हो चुका है। लेकिन मौजूदा दौर में भी दोनों ही नेता प्रासंगिक बने हुए हैं। बीजेपी नेहरु को उनकी जीवनशैली और नीतियों के कारण कटघरे में खड़ा कर रही है तो बीजेपी आपातकाल के जरिए इंदिरा गांधी और राहुल गांधी पर सवाल उठा रही है। हालात ये है कि आपातकाल को गलत बताने के राहुल गांधी के बयान पर भी राहुल बीजेपी के निशाने पर है। 
ऐसे में सवाल है कि बीजेपी अचानक पुराने मामलों को क्यों खंगाल रही है।

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मैं मानता हूँ कि वो एक भूल थी। पूरी तरह से ग़लत फ़ैसला था और मेरी दादी ने भी ऐसा कहा था. लेकिन तब कांग्रेस ने भारत के संस्थानिक ढांचा पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की थी। सच कहें तो यह क्षमता भी नहीं है। मंगलवार को जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में आपातकाल पर सवाल किया उन्होंने जो जवाब दिया उसके बाद सियासत में भूचाल आ गया। बीजेपी नेताओं ने आक्रमक तरीके से राहुल को निशाने पर लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राहुल को देर से बात समझ आती है।

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बीजेपी के निशाने पर सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं थे। जवाहर लाल नेहरु को भी बीजेपी ने जमकर कोसा। मुद्दा था सिगरेट के लिए हवाई जहाज भेजने का। मंत्री विश्वास सारंग ने राजभवन के दस्तावेजों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि जिस वक्त नेहरु जी भोपाल के राजभवन में रुके तब उनकी सिगरेट लेने के लिए भोपाल से इंदौर हवाई जहाज भेजा गया।

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जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राहुल गांधी। यानि पूरे गांधी परिवार को बीजेपी ने कटघरे में खड़ा कर दिया । जाहिर है  सवाल खड़ा होता है कि क्या बीजेपी किसी तय रणनीति के तहत ऐसा कर रही है। क्या पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी ने ये रुख अपनाया है। क्या गांधी परिवार पर हमला करके बीजेपी कांग्रेस के जी-23 के नेताओं को मजबूत करना चाहती है। सवाल ये भी है कि क्या तमिलनाडु और केरल में गांधी परिवार की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाना चाहती है बीजेपी। वजह चाहे जो भी रही है लेकिन कांग्रेस का मानना है कि मौजूदा हालात आपातकाल से भी बुरे हैं।

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वैसे यदि भारतीय राजनीति को देखा जाए तो बीते कुछ साल से नेहरु की कामों पर सवाल ज्यादा ही आक्रमक तरीके से खड़े किए जा रहे हैं फिर चाहे वो कश्मीर का मुद्दा हो या चीन का। बार बार नेहरु की नीतियो कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इसे सियासत में अपने प्रतीक पुरुषों को दूसरे से बेहतर बताने की कोशिश भी मान सकते हैं

 
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