बैंकॉक, 18 जून (एपी) थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावात्रा पर राजतंत्र को बदनाम करने के आरोप में मंगलवार को औपचारिक रूप से अभियोग दर्ज किया गया। इसके साथ ही इस तरह के बढ़ते अदालती मामलों ने थाईलैंड की राजनीति में अस्थिरता पैदा कर दी है।
अटॉर्नी जनरल कार्यालय के प्रवक्ता प्रयुथ बेजरागुना ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि थकसिन ने सुबह नौ बजे से कुछ मिनट पहले अभियोजकों के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अभियोग प्रक्रिया पूरी की गई।
थकसिन 18 वर्ष पहले सत्ता से बेदखल होने के बावजूद एक प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती हैं।
माना जा रहा है कि थकसिन एक कार में सवार होकर बैंकॉक के अपराध न्यायालय पहुंचे। हालांकि, वह संवाददाताओं से नहीं मिले और यह स्पष्ट नहीं है कि वह न्यायालय गये थे या पास के अभियोजक कार्यालय में गए।
उनके वकील विन्यात चैतमोंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि थकसिन न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं और उन्होंने जमानत पर रिहाई के लिए अर्जी तैयार कर ली है।
राजतंत्र को बदनाम करने के लिए बनाये गये कानून के तहत तीन से 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इस कानून को ‘लेसे मैजेस्टे’ के नाम से जाना जाता है और यह दुनिया के इस तरह के सबसे कठोर कानूनों में से एक है।
थाईलैंड में सरकार के आलोचकों को सजा देने के लिए इस कानून का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
थकसिन (74) को वर्ष 2006 में सेना ने तख्तापलट कर सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद कई वर्षों तक राजनीतिक ध्रुवीकरण की स्थिति बनी रही। थकसिन के विरोधियों ने उन पर भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और तत्कालीन राजा भूमिबोल अदुल्यादेज का अनादर करने का आरोप लगाया था।
अदुल्यादेज का 2016 में निधन हो गया था।
थकसिन पर सबसे पहले 2016 में ‘लेसे मैजेस्टे’ के तहत आरोप लगाया गया था। यह आरोप 2015 में दक्षिण कोरिया में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए की गई टिप्पणियों के लिए लगाया गया था। उस समय इस मामले को आगे नहीं बढ़ाया जा सका क्योंकि थकसिन 2008 में अन्य कानूनी फैसलों में दंड से बचने के लिए देश छोड़कर चले गये थे।
वह पिछले वर्ष स्वेच्छा से थाईलैंड लौट आये और उन्हें भ्रष्टाचार व सत्ता के दुरुपयोग से संबंधित आरोपों में दोषसिद्धि के लिए तुरंत हिरासत में ले लिया गया लेकिन चिकित्सा आधार पर उन्होंने एक तरह से अपनी पूरी सजा जेल के बजाय अस्पताल में काटी।
थकसिन को फरवरी में पैरोल पर रिहा कर दिया गया था।
एपी जितेंद्र वैभव
वैभव
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