पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल-सीएम, कहा- चुनौती के मुताबिक हों शिक्षा के मापदण्ड | Pandit Sundarlal Sharma at Open Convocation of Open University Joined Governor-CM Where are the criteria of education according to the challenge

पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल-सीएम, कहा- चुनौती के मुताबिक हों शिक्षा के मापदण्ड

पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल-सीएम, कहा- चुनौती के मुताबिक हों शिक्षा के मापदण्ड

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : January 21, 2020/3:31 pm IST

रायपुर । छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंगलवार को जिला मुख्यालय बिलासपुर में पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राज्यपाल उइके ने कहा कि वर्तमान और भविष्य में होने वाले सामाजिक बदलाव और परिस्थिति की चुनौतियों को ध्यान में रखकर शिक्षा के मापदण्ड बनाने की आवश्यकता है, तभी हम श्रेष्ठ बने रह सकते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज देश में मंदी का दौर है और रोजगार के अवसर की कमी हो रही है। ऐसे समय में ग्राम स्वराज की दिशा में चलकर आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है।

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विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दीक्षांत समारोह में विभिन्न विषयों की परीक्षाओं में प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 48 स्वर्ण पदक सहित उपाधियां प्रदान की गई। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने की। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के भव्य प्रवेश द्वार और छात्रावास भवन का लोकार्पण भी किया। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, विश्वविद्यालय कार्यपरिषद, विद्या परिषद के सदस्य, अध्ययन मंडलों के अध्यक्ष, प्राचार्य, प्राध्यापक, अधिकारी-कर्मचारी, अभिभावक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थी।

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राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि दूरस्थ ग्रामीण अंचल के निवासियों की भाषा, संस्कृति, सामाजिक संरचना तथा पर्यावरणीय ज्ञान पर अनुसंधान किया जाये तो कई ऐसे तथ्य सामने आएंगे, जो हमारे समाज को और अधिक बेहतर बनाने में सहायक होंगे। इस विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ अंचलों के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा से जोड़ने का जो प्रयास किया जा रहा है, यह सराहनीय है। यह विश्वविद्यालय महिला अध्ययन केन्द्रों की स्थापना कर महिलाओं को सशक्त बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह भी एक अच्छा प्रयास है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अकादमिक स्तर, पाठ्यक्रम में लगातार सुधार, पुस्तकों का प्रकाशन, नियमित समय पर परीक्षाएं आयोजित कर परिणामों की घोषणा एवं डिग्रीयों को राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपाजिट्री (एनएडी) में ऑनलाईन अपलोड करने तथा आवश्यकताओं के अनुरूप तीव्र गति से आधारभूत ढांचा विकसित करने के प्रयास किये गए है। पर्यावरण की दृष्टि से भी सोलर सिस्टम और जल संग्रहण के लिये तालाब का निर्माण किया गया है। इसके लिये उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो छात्र-छात्राएं अपने महाविद्यालय की नियमित पढ़ाई छोड़ जाते है। यह विश्वविद्यालय उन्हें पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने का अवसर दे रहा है। उन्हांेने कहा कि पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के लेखक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाज सुधारक थे। आजादी की लड़ाई के समय अछूतोद्धार का कार्य छत्तीसगढ़ में किया। उनके नाम पर यह विश्वविद्यालय रखा गया है। विद्यार्थियों से कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन संग्राम में विजयी हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पर्यावरण की चिंता सबको है। पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है। यह देश का 12 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन पूरे देश को ऑक्सीजन देने का काम हमारा राज्य कर रहा है। इस योगदान का आंकलन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिये। उन्हांेनेे कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का उज्ज्वल भविष्य इंतजार कर रहा है। उन्होंने नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना का उल्लेख करते हुये कहा कि इससे अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। रोजगार मिलेगा और पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी। उन्होंने बिलासपुर के किसानों के द्वारा किये जा रहे अनुकरणीय कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां किसान खेतों में पैरा जलाने के बजाय गौठानों के लिये पैरा दान कर रहे हैं। जिससे पशुओं को चारा मिलेगा और दूध उत्पादन भी बढ़ेगा। समारोह में दीक्षांत भाषण पद्म भूषण श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने दिया। समारोह में स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वंश गोपाल सिंह और आभार प्रदर्शन कुलसचिव इंदु अनंत ने दिया।

 
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